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सरकार ने जमीन ली, तो घर की ऊंचाई बढ़ाने की मिलेगी छूट

रांची : राजधानी के नये मास्टर प्लान में शहर की सभी सड़कों की चौड़ाई निर्धारित कर दी गयी है. सड़कों को चौड़ा करने के लिए जमीन मालिकों से भूमि अधिग्रहण का प्रावधान किया गया है. सड़कों की प्रस्तावित चौड़ाई पैसिव डेवलपमेंट के आधार पर प्राप्त की जायेगी. वर्तमान सड़क की चौड़ाई को प्रस्तावित सड़क की […]

रांची : राजधानी के नये मास्टर प्लान में शहर की सभी सड़कों की चौड़ाई निर्धारित कर दी गयी है. सड़कों को चौड़ा करने के लिए जमीन मालिकों से भूमि अधिग्रहण का प्रावधान किया गया है.
सड़कों की प्रस्तावित चौड़ाई पैसिव डेवलपमेंट के आधार पर प्राप्त की जायेगी. वर्तमान सड़क की चौड़ाई को प्रस्तावित सड़क की चौड़ाई प्राप्त करने के लिए आवश्यक जमीन संबंधित सड़क के दोनों ओर के भू-स्वामियों से बराबर भाग में ली जायेगी. भू-पट्टी पर देय फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) प्रभावित भूखंडधारी को ट्रांसफर ऑफ डेवलपमेंट राइट्स (टीडीआर) के रूप में अथवा प्रभावित भूखंड के शेष भाग पर एफएआर के रूप में देय होगा. सड़क चौड़ीकरण के लिए ली जानेवाली जमीन के बदले नये मास्टर प्लान में निर्माण की ऊंचाई या एफएआर बढ़ाने का सटिर्फिकेट दिया जायेगा. उस सटिर्फिकेट को बेचा जा सकेगा. जिनकी जमीन का हिस्सा चौड़ीकरण के दौरान जायेगा, उनको सरकार द्वारा निर्माण की ऊंचाई बढ़ाने का सटिर्फिकेट प्रदान किया जायेगा. निजी मकान की ऊंचाई बढ़ाने के लिये भी वह सटिर्फिकेट किसी व्यक्ति को भी बेचा जा सकता है.
निर्धारित किया गया है एफएआर: फ्लोर एरिया रेश्यू (एफएआर) रांची नगर निगम क्षेत्र में अधिकतम 2.5, व्यावसायिक क्षेत्रों के लिये 3.0 तथा रांची नगर निगम क्षेत्र से बाहर एवं रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार के प्लानिंग एरिया तक अधिकतम 3.0 प्लानिंग स्टैंडर्ड के प्रावधानों के अनुरूप निर्धारित किया गया है.

प्रत्येक दुर्बल आय वर्ग (इडब्लूएस) तथा अल्प आय वर्ग (एलआइजी) के लिए आवास के लिए जितनी भूमि या फर्श क्षेत्र लिया जायेगा, उसे उसी क्षेत्रफल के लिए देय एफएआर का 0.05 एफएआर का अतिरिक्त लाभ दिया जायेगा. दुर्बल आय वर्ग (इडब्लूएस) तथा अल्प आय वर्ग (एलआइजी) के लिए भूमि तथा फर्श क्षेत्र का उपबंध झारखंड नगरपालिका अधिनियम-2011 के प्रावधान के तहत प्रभावी रहेगा. दुर्बल आय वर्ग तथा अल्प आय वर्ग के लिए निर्मित होनेवाले आवासों का आवंटन योग्यताधारी लाभुकों के बीच संबंधित निकाय अथवा प्राधिकार द्वारा किया जायेगा. इडब्लूएस और एलआइजी के लिए न्यूनतम कारपेट एरिया झारखंड नगरपालिका अधिनियम में वर्णित क्षेत्रफल होगा.

1965 में बना था पहला मास्टर प्लान : रांची का पहला मास्टर प्लान एकीकृत बिहार राज्य के समय में वर्ष 1965 में वर्ष 1983 तक के विकास को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था.

उस मास्टर प्लान में 12,9़50 वर्ग किमी के क्षेत्रफल को शामिल किया गया था. फिर, वर्ष 1983 में पूर्व के मास्टर प्लान का संशोधन कर वर्ष 2001 तक के लिए (अनुमानित जनसंख्या 6,68,433) विभिन्न आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया. उस समय 39,51,9़37 हेक्टेयर (395़19 वर्ग किमी) के क्षेत्रफल के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया. वर्ष 2000 में झारखंड राज्य गठन के साथ ही रांची को राज्य की राजधानी घोषित कर दी गयी. इसके साथ ही शहरी जनसंख्या में अप्रत्याशित वृद्धि की वजह से कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होनी शुरू हो गयी थी. राज्य गठन के बाद अब वर्ष 2015 में पहली बार मास्टर प्लान का ड्राफ्ट तैयार किया गया है. यह वर्ष 2037 तक की जरूरतों को ध्यान में रख कर बनाया गया है.

मास्टर प्लान से प्रभावित होनेवालों को बसायेगी सरकार : झारखंड सरकार ने पुनरीक्षित मास्टर प्लान-2037 में प्रभावितों को बसाने की भी व्यवस्था की है. विभागीय सचिव अरुण कुमार सिंह और दूसरे अधिकारियों के अनुसार सरकार जल्द ही प्रभावित होनेवाले व्यक्तियों का सर्वेक्षण करायेगी. इसके तहत यह तय किया जायेगा कि कौन-कौन सी सड़कों के चौड़ा होने से कितनी आबादी अथवा परिवार पर उसका असर पड़ेगा. सरकार की ओर से प्रभावितों को एक प्रमाण पत्र भी मिलेगा, जिसमें प्रभावितों का नाम और अन्य चीजों का जिक्र रहेगा.

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