केफ्स फायर फाइटिंग का डेमोस्ट्रेशनफोटो अमित दास कीसंवाददाता, रांची झारखंड अग्निशमन मुख्यालय में बुलेट मोटरसाइकिल पर लगी नयी टेक्नोलॉजी से लैश केफ्स (कम्परेज्ड एयरफोम सिस्टम) का प्रदर्शन किया गया़ यह झुग्गी, झोपड़ी व संकरी गलियों में अवस्थित भवनों में लगी आग को बुझाने में कारगर है़ मौके पर होमगार्ड व अग्निशमन विभाग के डीजीपी राजीव कुमार, प्रभारी स्टेट फायर ऑफिसर आरके ठाकुर सहित कई अफसर मौजूद थे. मुंबई की विराज क्लीन सी इंटरप्राइजेज लिमिटेड के सोल डिस्ट्रीब्यूटर ने इस उपकरण का प्रदर्शन किया. कंपनी के प्रवक्ता सुबोध कुमार ने बताया कि केफ्स के जरिये पेट्रो केमिकल, बिजली की आग कम समय में बुझायी जा सकती है. इस यंत्र से एक प्रकार का फोम निकलता है, जो आग लगे स्थान पर चिपक जाता है. वहीं आग को बढ़ानेवाला आक्सीजन नहीं मिल पाता है़ बड़ी आग को बुझाने में यंत्र को छह से सात मिनट लगता है़ इसकी खासियत है कि आग में पानी डालने पर जो भांप निकलता है, फोम उसे रोक देता है और आग बुझानेवाले कर्मी झुलसने से बच जाते है़ं न्यू मैटिक बैक पाॅवर के जरिये आग पर पाया जाता है काबूसुबोध कुमार के अनुसार यह यंत्र न्यू मैटिक बैक पावर कहलाता है़ यह यंत्र हवा के दवाब से चलता है़ इसमें न ही बिजली लगती है और न ही बैटरी की आवश्यकता है़ इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यदि मैटरियल नहीं भी है, तो मोटर जलने का खतरा नहीं रहता है. यंत्र के कैंबो पैक को टाटा सफारी, छोेटे मालवाहक वाहन आदि मेें लगाने पर कीमत 55 से 60 लाख रुपये लगती है. बड़े फायर ब्रिगेड की लागत 90 लाख से एक करोड़ तक आती है. विश्व के विकसित देशों में इस यंत्र का प्रयोग हो रहा है.
केफ्स फायर फाइटिंग का डेमोस्ट्रेशन
केफ्स फायर फाइटिंग का डेमोस्ट्रेशनफोटो अमित दास कीसंवाददाता, रांची झारखंड अग्निशमन मुख्यालय में बुलेट मोटरसाइकिल पर लगी नयी टेक्नोलॉजी से लैश केफ्स (कम्परेज्ड एयरफोम सिस्टम) का प्रदर्शन किया गया़ यह झुग्गी, झोपड़ी व संकरी गलियों में अवस्थित भवनों में लगी आग को बुझाने में कारगर है़ मौके पर होमगार्ड व अग्निशमन विभाग के डीजीपी राजीव […]
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