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स्मार्ट कार्ड के लिए अलग से शुल्क लिया जा रहा है

वरीय संवाददाताराज्य सरकार द्वारा वाहन रजिस्ट्रेशन स्मार्ट कार्ड (अॉनर बुक) तथा ड्राइविंग लाइसेंस स्मार्ट कार्ड के लिए अलग से शुल्क वसूला जा रहा है. रजिस्ट्रेशन स्मार्ट कार्ड के लिए 99 रुपये व ड्राइविंग लाइसेंस स्मार्ट कार्ड के लिए 49 रुपये लिया जा रहा है. इतना ही नहीं विभाग द्वारा केंद्रीय मोटर व्हेकल रूल्स में स्मार्ट […]

वरीय संवाददाता
राज्य सरकार द्वारा वाहन रजिस्ट्रेशन स्मार्ट कार्ड (अॉनर बुक) तथा ड्राइविंग लाइसेंस स्मार्ट कार्ड के लिए अलग से शुल्क वसूला जा रहा है. रजिस्ट्रेशन स्मार्ट कार्ड के लिए 99 रुपये व ड्राइविंग लाइसेंस स्मार्ट कार्ड के लिए 49 रुपये लिया जा रहा है. इतना ही नहीं विभाग द्वारा केंद्रीय मोटर व्हेकल रूल्स में स्मार्ट कार्ड के लिए तय 200 रुपये भी वसूला जा रहा है, लेकिन यह राशि सरकार के खाते में जमा नहीं होती है. जिला परिवहन कार्यालयों में उक्त राशि के लिए अलग से प्राप्ति रसीद दी जाती है. इधर, राज्य सरकार ने स्मार्ट कार्ड के लिए नया टेंडर आमंत्रित किया है. टेंडर प्रक्रिया चल रही है.

राज्य में स्मार्ट कार्ड योजना वर्ष 2004 से लागू है. जिस नियम-कानून से स्मार्ट कार्ड निर्गत किया जाता है, वह केंद्रीय मोटर व्हेकिल रूल्स 1989 है. रूल्स के अनुसार अन्य शुल्कों के अलावा स्मार्ट कार्ड के लिए 200 रुपये शुल्क विहित है. इस राशि के अलावा राज्य सरकारों द्वारा अन्य कोई राशि नहीं ली जानी है. स्मार्ट कार्ड के मामले में राज्य सरकार को शुल्क तय करने का भी अधिकार नहीं है.

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने रद्द किया है सरकार का आदेश
उत्तर प्रदेश सरकार ने भी स्मार्ट कार्ड के लिए 440 रुपये का शुल्क तय किया था. इसे इलाहाबाद हाइकोर्ट में चुनाैती दी गयी थी. हाइकोर्ट की खंडपीठ ने मामले की विस्तृत सुनवाई के बाद राज्य सरकार द्वारा शुल्क तय करने संबंधी आदेश को निरस्त कर दिया. कहा कि राज्य सरकार अलग से कोई शुल्क तय नहीं कर सकती है. स्मार्ट कार्ड के लिए शुल्क तय करने का अधिकार केंद्र सरकार को है.

झारखंड हाइकोर्ट में है मामला लंबित
राज्य सरकार द्वारा रजिस्ट्रेशन स्मार्ट कार्ड के लिए 99 रुपये व ड्राइविंग लाइसेंस स्मार्ट कार्ड के लिए 49 रुपये तय करने के आदेश को झारखंड हाइकोर्ट में चुनाैती दी गयी है. संजय कुमार पांडेय ने वर्ष 2008 में रिट याचिका दायर कर सरकार के आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया है. कहा था कि राज्य सरकार अलग से शुल्क तय नहीं कर सकती है, बल्कि केंद्रीय रूल्स में ही शुल्क तय है. उसके अनुसार ही शुल्क वसूला जाना था, लेकिन झारखंड में केंद्रीय रूल्स में तय शुल्क के अलावा 99 रुपये व 49 रुपये का शुल्क अलग से लिया जा रहा है. कोर्ट में मामला लंबित है. श्री पांडेय ने कहा कि चार अक्तूबर 2004 को तत्कालीन ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, मेसर्स वेंकटेश उद्योग एवं मेसर्स एकेएस स्मार्ट कार्ड सिस्टम लिमिटेड के बीच करार हुआ था. कई जिलों के लिए करार की अवधि भी खत्म हो चुकी है.

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