रांची: झारखंड सरकार ने उचित दर पर आवास उपलब्ध कराने की हाउसिंग नीति 2015 के प्रारूप पर सभी लोगों का सुझाव मांगा है. नगर विकास और आवास विभाग की तरफ से 10 नवंबर तक यह सुझाव आमंत्रित किया गया है. हाउसिंग पालिसी में सभी को उचित दर पर आवास मुहैया कराने की बातें कही गयी हैं. सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी भी बनायी गयी है.
परियोजना के अनुमोदन और स्वीकृति के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी कार्य करेगी. सरकार का मानना है कि झारखंड में राष्ट्रीय औसत की तुलना में शहरी क्षेत्रों में 24 प्रतिशत आबादी शहरों में रह रही है. यह 2030 तक बढ़ कर 32 फीसदी हो जायेगी. इनके लिए आवास की जरूरत को देखते हुए नीति बनायी गयी है.
राज्य में शहरी क्षेत्र में रहनेवाले गरीबों के लिए 1.50 लाख आवास की जरूरत है. इस लक्ष्य को अगले पांच वर्ष में पूरा किया जायेगा. नीति में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आवास के आवंटन में प्राथमिकता दी जायेगी. ऐसे लोगों की वार्षिक आय सरकार की ओर से तीन लाख रुपये तय की जायेगी. इन्हें तीस वर्ग मीटर से लेकर 60 वर्ग मीटर तक का आवास दिया जायेगा, जिसमें सभी बुनियादी सुविधाएं होंगी. सरकार की तरफ से वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी संस्थानों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, हाउसिंग फायनांस कंपनियों से ऋण की सुविधा भी दिलायी जायेगी. शहरी घनी आबादी के क्षेत्रों में रहनेवालों के लिए हाउसिंग सोसाइटी बनाने पर भी नीति में बल दिया गया है. नीति के तहत हाउसिंग लैंड बैंक बनाने पर भी जोर दिया गया है.
सरकार की तरफ से निजी क्षेत्रों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भूमि खरीद नीति भी तय की जायेगी. इसके लिए नगर विकास विभाग की तरफ से कई श्रेणियों में जमीन का वर्गीकरण किया जायेगा. नीति में आठ मॉडल तय किये गये हैं. इसमें आर्थिक रूप से पिछड़ों को आवास मुहैया कराने, स्लम डेवलपमेंट, क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी, रेंटल हाउसिंग, हाउसिंग प्रोजेक्ट फोर को-आपरेटिव सोसाइटी, उचित दर पर आवास निर्माण जैसे आठ मॉडल बनाये गये हैं. सरकार की एजेंसी ज्यूडको और हाउसिंग बोर्ड से परियोजनाओं को क्रियान्वित किया जायेगा. आवासीय काॅलोनियों में 10 प्रतिशत मकान आर्थिक रूप से पिछड़ों को दी जायेगी.