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पुरुष के पेट में पल रहा था बच्चा!

राजीव पांडेय रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में डॉक्टर उस वक्त हैरान रह गये, जब एक पुरुष के पेट में बच्चे का स्वरूप पाया गया. उस व्यक्ति के पेट में एक ट्यूमर था, जिसका परेशन सर्जरी विभाग के डॉ शीतल मलुआ के नेतृत्व में उनकी टीम कर रही थी. ट्यूमर (टेरोटोमा) में […]

राजीव पांडेय
रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में डॉक्टर उस वक्त हैरान रह गये, जब एक पुरुष के पेट में बच्चे का स्वरूप पाया गया. उस व्यक्ति के पेट में एक ट्यूमर था, जिसका परेशन सर्जरी विभाग के डॉ शीतल मलुआ के नेतृत्व में उनकी टीम कर रही थी.
ट्यूमर (टेरोटोमा) में चिकित्सकों को बाल, हाथ, दांत, नाखून एवं हड्डी मिले. वह व्यक्ति चाईबासा से इलाज कराने रिम्स आया था. उसे पेट में दर्द की शिकायत रहती थी. उम्र के हिसाब से भी उसका शारीरिक विकास नहीं हो पा रहा था. 22 साल की उम्र में वह 14 वर्ष के किशोर जैसा दिखता था. चिकित्सकों की मानें तो उसका शारीरिक विकास ट्यूमर के कारण प्रभावित हो रहा था. ट्यूमर के कारण उसकी आंत एवं शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग भी प्रभावित हो रहे थे. मरीज काफी परेशानी में था.
चाईबासा निवासी आरएस तुबिद (बदला हुआ नाम) करीब 10 साल से अपने पेट में ट्यूमरनुमा मानव आकृति को लेकर घूम रहा था. ट्यूमर का आकार में बड़ा होने के कारण जमशेदपुर, चाईबासा एवं रांची में कई जगह चिकित्सीय परामर्श लेने के बाद भी कोई उसका ऑपरेशन करने के लिए तैयार नहीं था.
रिम्स में डॉ शीतल मलुआ ने जांच के बाद उसे भरती कराया. आवश्यक जांच कराने के बाद उसका ऑपरेशन किया गया. इस दौरान उसके ट्यूमर में मानव के अविकसित अंग मिले. ट्यूमर को निकालने के बाद मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है. उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है.
क्या है टेराटोमा
आरएस तुबिद के शरीर में मौजूद ट्यूमर के अंदर शारीरिक अंगों का होना मेडिकल टर्म में टेराटोमा का केस कहलाता है. दरअसल शरीर का विकास तीन तरह के उत्तक से मिल कर होता है. पहला इंडो डर्म, दूसरा एक्टो डर्म एवं तीसरा मेजो डर्म. इसी तीनोें से शरीर के सभी प्रकार के अंग बनते हैं.
रेयरेस्ट केस था
डा शीतल मलुआ ने बताया कि ऐसे केसेस बहुत कम देखने को मिलते हैं. टेराटाेमा के केस में ज्यादातर बाल ही पाया जाता है, लेकिन इस केस में मरीज के ट्यूमर में दांत, नाखून, बाल, हड्डी मिला था. संभावना है कि उस व्यक्ति के जन्म के समय शरीर के अंदर उत्तक के रूप में दांत, नाखून आदि आकार ले रहा था. ऐसे केसेेस में बच्चे का जैसे-जैसे विकास होता है, इन अंगों का भी विकास साथ-साथ होता जाता है.
चाईबासा निवासी आरएस तुबिद (बदला हुआ नाम) करीब 10 साल से अपने पेट में ट्यूमरनुमा मानव आकृति को लेकर घूम रहा था. ट्यूमर का आकार में बड़ा होने के कारण जमशेदपुर, चाईबासा एवं रांची में कई जगह चिकित्सीय परामर्श लेने के बाद भी कोई उसका ऑपरेशन करने के लिए तैयार नहीं था.
रिम्स में डॉ शीतल मलुआ ने जांच के बाद उसे भरती कराया. आवश्यक जांच कराने के बाद उसका ऑपरेशन किया गया. इस दौरान उसके ट्यूमर में मानव के अविकसित अंग मिले. ट्यूमर को निकालने के बाद मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है. उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है.
क्या है टेराटोमा
आरएस तुबिद के शरीर में मौजूद ट्यूमर के अंदर शारीरिक अंगों का होना मेडिकल टर्म में टेराटोमा का केस कहलाता है. दरअसल शरीर का विकास तीन तरह के उत्तक से मिल कर होता है. पहला इंडो डर्म, दूसरा एक्टो डर्म एवं तीसरा मेजो डर्म. इसी तीनोें से शरीर के सभी प्रकार के अंग बनते हैं.
रेयरेस्ट केस था
डा शीतल मलुआ ने बताया कि ऐसे केसेस बहुत कम देखने को मिलते हैं. टेराटाेमा के केस में ज्यादातर बाल ही पाया जाता है, लेकिन इस केस में मरीज के ट्यूमर में दांत, नाखून, बाल, हड्डी मिला था. संभावना है कि उस व्यक्ति के जन्म के समय शरीर के अंदर उत्तक के रूप में दांत, नाखून आदि आकार ले रहा था. ऐसे केसेेस में बच्चे का जैसे-जैसे विकास होता है, इन अंगों का भी विकास साथ-साथ होता जाता है.

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