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पुरस्कार वापसी का मुद्दा केवल साहित्यकारों का नहीं
झारखंड हिंदी साहित्य व संस्कृति मंच का शरद उत्सव पर कवि गोष्ठी व विचार गोष्ठी रांची : झारखंड हिंदी साहित्य व संस्कृति मंच के तत्वावधान में शरद उत्सव पर कवि गोष्ठी अौर देश के मौजूदा माहौल पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. साहित्यकारों द्वारा पुरस्कार वापसी के मुद्दे पर वरिष्ठ साहित्यकार विद्याभूषण ने कहा […]
झारखंड हिंदी साहित्य व संस्कृति मंच का शरद उत्सव पर कवि गोष्ठी व विचार गोष्ठी
रांची : झारखंड हिंदी साहित्य व संस्कृति मंच के तत्वावधान में शरद उत्सव पर कवि गोष्ठी अौर देश के मौजूदा माहौल पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. साहित्यकारों द्वारा पुरस्कार वापसी के मुद्दे पर वरिष्ठ साहित्यकार विद्याभूषण ने कहा कि पुरस्कार वापसी का मुद्दा केवल साहित्यकारों से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह फिल्मकारों, वैज्ञानिकों और अन्य वर्ग से भी जुड़ गया है.
एक मुद्दा यह भी है कि जब देश में अन्य घटनाएं हुईं, उस समय पुरस्कार क्यों नहीं लौटाये गये. भोपाल त्रासदी अौर आपातकाल के दौरान हजारों लोग मारे गये, उस समय साहित्यकारों ने पुरस्कार क्यों नहीं लौटाये. वरिष्ठ साहित्यकार डॉ माया प्रसाद ने भी उनके विचारों पर सहमति जतायी.
मंच के उपाध्यक्ष आशुतोष ने कहा कि जो लोग पुरस्कार लौटा रहे हैं वे ऐसे साहित्यकार हैं, जो हाशिए पर चले गये हैं. उनके सामने अस्मिता का प्रश्न खड़ा हो गया है. अनूप भदानी ने कहा कि अगर विरोध करना है, तो 2019 में विरोध कर सरकार को सत्ता से बेदखल कर दें. देश की जनता ने जिनको चुना है, उनका सम्मान करें.
अंशुमिता ने कहा कि लोगों को शिक्षित करने की जरूरत है. मंच की संयुक्त सचिव वीना श्रीवास्तव ने कहा कि पुरस्कार लौटाना साहित्य अकादमी अौर पुरस्कार दोनों का अपमान करना है. जो सम्मान उन्हें पूर्व में दिया गया उसका अपमान है. पुरस्कार लौटाना विरोध है, लेकिन राजनीति से प्रेरित नहीं है. इस अवसर पर नीरज कुमार नीर ने भी अपने विचार रखे.
सर-सर बहती पछुआई से, आओ करें त्याेहार की बातें
इससे पूर्व प्रथम सत्र में आयोजित कवि गोष्ठी में वीना श्रीवास्तव ने सर-सर बहती पछुआई से, आअो करें त्योहार की बातें, से शरद उत्सव की शुरूआत की.
शब्दों का महत्व बताते हुए विद्या भूषण ने कहा कि शब्द कभी खाली हाथ नहीं लौटाते, तुम्हारे शब्द, तुम्हारे पास फिर लौट आयेंगे. डॉ माया प्रसाद ने अंधियारे को जी भर कर उठक-बैठक कराऊंगी, और छोटी सी ही सही, दीवाली घर ले आऊंगी. कार्यक्रम में प्रशांत करण, डॉ मीरा कुमार, गिरिजा कोमल, रश्मि शर्मा, अजय कुमार, कन्हैया प्रसाद गुंजन, अनूप भदानी व अन्य ने भी अपनी कविताएं सुनायीं.
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