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लोकतंत्र की प्रहरी है सिविल सोसाइटी : बलराम

लोकतंत्र की प्रहरी है सिविल सोसाइटी : बलरामपंचायत चुनाव में सिविल सोसाइटी की भूमिका पर सेमिनारवरीय संवाददाता, रांची.राइट टू फूड के चेयरपर्सन बलराम ने कहा कि सिविल सोसाइटी लोकतंत्र में प्रहरी के रूप में काम कर रही है. पंचायती राज व्यवस्था की जड़ को मजबूत करने में इसकी भूमिका अहम है. झारखंड में पंचायत चुनाव […]

लोकतंत्र की प्रहरी है सिविल सोसाइटी : बलरामपंचायत चुनाव में सिविल सोसाइटी की भूमिका पर सेमिनारवरीय संवाददाता, रांची.राइट टू फूड के चेयरपर्सन बलराम ने कहा कि सिविल सोसाइटी लोकतंत्र में प्रहरी के रूप में काम कर रही है. पंचायती राज व्यवस्था की जड़ को मजबूत करने में इसकी भूमिका अहम है. झारखंड में पंचायत चुनाव कराने को लेकर सिविल सोसाइटी ने न्यायालय से लेकर सड़क तक आंदोलन किया. लोकतंत्र की जड़ पंचायती राज व्यवस्था में निहित है. श्री बलराम बुधवार को रांची में झारखंड पंचायत रिर्सोस सेंटर की ओर से आयोजित सेमिनार को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. पंचायत चुनाव में सिविल सोसाइटी की भूमिका विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पंचायत को अभी भी आधे-अधूरे अधिकार मिले हैं. निचले स्तर की भागीदारी से योजना बनाना और इसके लिए प्लानिंग करना जरूरी है. अभी भी पंचायती राज व्यवस्था के अधिकारों से यहां के जनप्रतिनिधि अनभिज्ञ हैं. ऐसे में सिविल सोसाइटी को बढ़-चढ़ कर लोगों को जागरूक करना होगा. यह प्रक्रिया चुनाव के बाद भी जारी रहनी चाहिए. उन्होने कहा कि राजनीतिक दलों के हस्तक्षेप से पंचायती राज व्यवस्था कमजोर होती है. मौके पर नेशनल इलेक्शन वॉच की ओर से मेरा वोट मेरा गांव मार्गदर्शिका का विमोचन किया गया. इसमें पंचायत चुनाव के नामांकन से लेकर पंचायती राज व्यवस्था में जनप्रतिनिधियों के अधिकारों की जानकारी दी गयी है. नामांकन के लिए लोगों को प्रेरित करने की जरूरत राज्य निर्वाचन आयोग के ज्वाइंट इलेक्शन कमिश्नर डीबी आनंद ने कहा कि आयोग राज्य में स्वच्छ और पारदर्शी ढंग से चुनाव कराने को लेकर जुटा है. उन्होंने कहा कि राज्य में नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. वार्ड सदस्यों के लिए काफी कम नामांकन हो रहा है. इसलिए लोगों को इस पर नामांकन करने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है, ताकि कोई भी पद रिक्त न रह जाये. पंचायतों में स्थानीय मुद्दों पर काम हो एडीआर के नेशनल को-ऑर्डिनेटर अनिल वर्मा ने दूसरे राज्यों का उदाहरण देते हुए कहा कि चुनाव में धन-बल का नंगा नाच होता है. लोगों में जागरूकता लाकर इस पर लगाम लगाया जा सकता है. सरकार और राजनीतिक दलों की ओर से पंचायतों को कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है. पंचायतों में केंद्रीय योजनाओं के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों पर भी काम होना चाहिए. गांव की जरूरत देख योजनाओं पर काम हो सीडब्लूसी के ज्वाइंट डॉयरेक्टर एम सिन्हा ने कहा कि पंचायतों में माइक्रो प्लानिंग से ही विकास हो सकता है. ग्रामीणों और गांव की जरूरतों को ध्यान में रख कर योजनाओं पर काम करना होगा. नेशनल इलेक्शन वॉच के राज्य संयोजक सुधीर पाल ने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों के कंधे पर बड़ी जिम्मेवारी सौंपी गयी है. इन जिम्मेवारियों का सही और सक्षम ढंग से निवर्हन हो सके, इसके लिए जनप्रतिनिधियों का क्षमतासंवर्द्धन जरूरी है. सेमिनार में वक्ताओं ने मुखिया को दिये गये अधिकार के विरोध में डॉक्टरों व शिक्षकों की ओर से किये जा रहे प्रदर्शन की निंदा की. मौके पर राज्य के विभिन्न पंचायतों से आये प्रतिनिधि मौजूद थे.

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