जमीन संबंधी दस्तावेजों के सत्यापन का सिस्टम नहीं, आवेदक परेशानजमीन की रजिस्ट्री और नक्शों के निष्पादन में हो रही है परेशानीसंवाददाता, रांची जिला प्रशासन ने जमीन से संबंधित दस्तावेजों के सत्यापन का कोई सिस्टम तैयार नहीं किया है. कागजातों के सत्यापन में अनावश्यक समय लग रहा है. 50 साल या अधिक पुरानी जमीन के दस्तावेजों का सत्यापन और भी मुश्किल हो गया है. इधर, सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री और नक्शा पास करने से पहले जमीन के रिकाॅर्ड का सत्यापन अनिवार्य कर दिया है. इससे न केवल रजिस्ट्री में परेशानी हो रही है, बल्कि नक्शा पास कराना भी दूभर हो गया है. रिकॉर्ड रूम नहीं है अपडेटरांची जिले के रिकॉर्ड रूम में सुरक्षित रखे गये खतियानों की हालत खराब है. पुराने खतियानों की हालत ऐसी हो गयी है कि छूने पर ही पन्ने फटने लगते हैं. पुराने खतियानों को खोजना काफी मुश्किल है. सत्यापन का आवेदन करनेवालों को रिकार्ड रूम दौड़ना होता है. महीनों तक रिकाॅर्ड रूम के चक्कर लगाने के बाद ही रिकाॅर्ड का सत्यापन हो पाता है.चमक गयी है दुकानसरकार द्वारा रिकाॅर्ड का सत्यापन अनिवार्य करने से दलालों की दुकान भी चमक गयी है. कागजातों के सत्यापन के लिये एक से चार हजार रुपये तक देने पड़ रहे हैं. दलाली के इस रैकेट में समाहरणालय के कई कर्मचारी भी शामिल हैं. सत्यापन जल्दी कराने की बात करते हुये चाय-पानी के लिये रुपये मांगे जाते हैं.
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जमीन संबंधी दस्तावेजों के सत्यापन का सस्टिम नहीं, आवेदक परेशान
जमीन संबंधी दस्तावेजों के सत्यापन का सिस्टम नहीं, आवेदक परेशानजमीन की रजिस्ट्री और नक्शों के निष्पादन में हो रही है परेशानीसंवाददाता, रांची जिला प्रशासन ने जमीन से संबंधित दस्तावेजों के सत्यापन का कोई सिस्टम तैयार नहीं किया है. कागजातों के सत्यापन में अनावश्यक समय लग रहा है. 50 साल या अधिक पुरानी जमीन के दस्तावेजों […]
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