न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार की प्रिंसिपल बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. ट्रिब्यूनल ने राज्य सरकार और सीएनसी कंपनी को स्पीड पोस्ट के जरिये जानकारी देने को कहा है. सुनवाई के लिए उपस्थित राज्य सरकार के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि ने भी एक सप्ताह में पूरी रिपोर्ट जमा करने का समय मांगा जिसे मंजूर कर लिया गया.
अगली सुनवाई चार नवंबर निर्धारित की गयी है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता सत्य प्रकाश को भी एक सप्ताह में एडिशनल एफिडेफिट जमा करने का निर्देश दिया है. एडिशनल एफिडेफिट में वीडियाे फुटेज सहित, अवैध रूप से पत्थर तोड़े जानेवाले के नाम तथा उससे संबंधित साक्ष्य भी प्रस्तुत करने होंगे. गौरतलब है कि 28 अगस्त को सुनवाई के दौरान ही कोर्ट ने सभी पक्षों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय देते हुए अगली सुनवाई की तारीख चार अक्तूबर निर्धारित की थी, लेकिन इस बीच किसी भी पक्ष की ओर से कोई भी जवाब एनजीटी को नहीं सौंपा गया. याचिका में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, झारखंड सरकार, झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वार्डेंन फॉरेस्ट वाइल्ड लाइफ, डोरंडा, उपायुक्त हजारीबाग एवं कोडरमा, जिला खनन अधिकारी, हजारीबाग एवं कोडरमा, रूपक सिंह, धन लक्ष्मी स्टोर वर्क्स, श्रीराम स्टोन चिप्स तथा हरियाणा के मेसर्स सी एंड सी कंस्ट्रक्शन कंपनी को प्रतिवादी बनाया गया है. याचिका में बताया गया है कि हजारीबाग और कोडरमा जिले में बड़ी संख्या में माइंस और क्रशर आेनर एक ही हैं. पत्थर तोड़ने का काम आवासीय इलाकों में किया जा रहा है. जो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित किसी भी मानदंड को पूरा नहीं कर रहे हैं.
जंगल में अवैध खनन पर रोक लगी है, लेकिन सच्चाई यह है कि सभी खनन आवासीय इलाकों और फॉरेस्ट एरिया में ही हो रहा है. हजारीबाग और कोडरमा जिले के गांवों जिसमें कटकम, सांडी, साडम, इचाक, नवाडीह, तीलरा, भूषाई, जिहुआ, अदमा, कदवां, सूरजपुरा, डुमरान, बरकट्टा, चुरचुर, अटका, बगोदरा, शिलाडीह तथा कोडरमा जिले में जिरूआडीह, नवाडीह, धाड, चंद्रवारा, डोमचांच जैसे दर्जनों गांव पूरी तरह से आवासीय इलाका है़ इन जगहों पर स्टोन क्रशर चल रहे हैं. कोर्ट से निवेदन किया गया है कि अवैध स्टोन क्रशर को तुरंत रोका जाये. पूरे क्षेत्रों का सरकार सर्वे कर वैध और अवैध माइनिंग की पहचान करें. साथ ही कोर्ट झारखंड सरकार, झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वार्डेंन फॉरेस्ट वाइल्ड लाइफ, डोरंडा, उपायुक्त हजारीबाग, उपायुक्त कोडरमा, जिला खनन अधिकारी, कोडरमा एवं हजारीबाग को यह निर्देश दें कि वह पर्यावरण की रक्षा के साथ ही वहां पर रह रहे लोगों के जीवन की रक्षा के लिए आवासीय इलाकों में चल रहे इस तरह के कारोबार पर तुरंत रोक लगायें. याचिकाकर्ता सत्य प्रकाश ने प्रभात खबर से कहा कि एनजीटी ने साक्ष्य के रूप में एडिशनल एफिडेफिट जमा कराने का जो निर्देश उन्हें दिया है,उसे वह एक सप्ताह के अंदर पूरा कर लेंगे. क्योंकि उनके पास वह सारे साक्ष्य मौजूद है, जिसे कोर्ट को सुपुर्द करना है.