आरएस सर्वेक्षण से संबंधित सभी औपचारिकताएं कोल्हान प्रमंडल में पूरी हो गयी हैं. 1976 के बाद इसका अंतिम प्रकाशन भी पूरा कर लिया गया है. वहीं पलामू, संताल परगना, उत्तरी छोटानागपुर और दक्षिणी छोटानागपुर के जिलों में अब भी आरएस सर्वे का काम पूरा नहीं हो पाया है. पलामू और दक्षिणी छोटानागपुर में सर्वेक्षण से संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गयी है.
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कोल्हान छोड़ कहीं नहीं हो पाया बंदोबस्ती सर्वेक्षण का काम
रांची: झारखंड में आर एस सेटलमेंट (पुनरीक्षित बंदोबस्त सर्वेक्षण) का काम पूरा नहीं हो पाया है. किसी भी तरह के नियोजन के लिए अब भी 1932 के आधार पर स्थानीय होने का प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है. जानकारी के अनुसार 1932 में कैडेस्ट्रल आधार सर्वे सेटेलमेंट (सीएस) कराया गया था. उसके बाद से 1965 […]
रांची: झारखंड में आर एस सेटलमेंट (पुनरीक्षित बंदोबस्त सर्वेक्षण) का काम पूरा नहीं हो पाया है. किसी भी तरह के नियोजन के लिए अब भी 1932 के आधार पर स्थानीय होने का प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है. जानकारी के अनुसार 1932 में कैडेस्ट्रल आधार सर्वे सेटेलमेंट (सीएस) कराया गया था. उसके बाद से 1965 में रीविजनल सर्वे सेटेलमेंट (आरएस) का काम अविभाजित बिहार के समय शुरू हुआ था. आरएस सर्वे का काम सिर्फ कोल्हान प्रमंडल में ही पूरा हो पाया है.
मुख्यालय से जारी होता है संकल्प
पुनरीक्षित सर्वे सेटलमेंट की अंतिम रिपोर्ट जिला स्तर पर प्रकाशित की जाती है. इसे गजट में प्रकाशित करने का अनुरोध प्रस्ताव के साथ राज्य मुख्यालय भी भेजा जाता है. राजस्व, निबंधन और भूमि सुधार से गजट और संकल्प जारी करने के लिए आग्रह किया जाता है. राज्य सरकार की तरफ से अंतिम स्तर पर वित्त विभाग से सर्वे का अंतिम प्रकाशन से संबंधित संकल्प जारी करने का प्रावधान है. इसके बाद ही गजट भी प्रकाशित की जाती है.
अंगरेजों के समय शुरू हुआ था सेटलमेंट का काम
अंगरेजों के समय झारखंड (अविभाजित बिहार) में सर्वे सेटलमेंट का काम शुरू हुआ था. रांची में 1902-1910 तक पहला सर्वेक्षण जे रीड ने किया था. इसी तरह संताल परगना में एच मैकफर्सन ने 1898 से 1907 तक और जे गैंटजोर ने 1922-1935 तक सर्वे कर अपनी अंतिम रिपोर्ट दी थी. कोल्हान इस्टेट के लिए एडी टके ने अंगरेजी शासनकाल में सर्वेक्षण का काम किया था. पोड़ाहाट स्टेट (सिंहभूम) में 1928 से 1932 तक सर्वेक्षण का काम पूरा हुआ. वहीं पलामू में टी डबॅल्यू ब्रिज की तरफ से 1913 से लेकर 1920 में सर्वे का काम किया गया. कोडरमा इस्टेट (अविभाजित हजारीबाग) के समय एच कूपलैंड की ओर से 1902 से लेकर 1904 तक सर्वेक्षण किया गया. जबकि हजारीबाग जिले में 1908 से लेकर 1915 तक जेडी शिफ्टन ने सर्वे का काम पूरा किया.
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