2…अब जमाना बदल गया: दारोगा सिंह फोटो-30 डालपीएच-10मेदिनीनगरवर्तमान दौर को देख कर तो घुटन होती है. सोचते हैं कि वह क्या दौर था और आज क्या हो रहा है. यह कहना है दारोगा सिंह का. दारोगा सिंह कजरी के रहने वाले हैं. 1960 से 1978 तक वह गाड़ीखास पंचायत के सरपंच रहे थे. आज के दौर के बारे में उनके अनुभव काफी कड़वे हैं. कहते हैं कि स्थिति में काफी बदलाव आ गया है, या यूं कहे कि आसमान-जमीन का अंतर आ गया है तो गलत नहीं है. पहले लोग स्वेच्छा से वोट देते थे, लगता था कि मुखिया सरपंच में जो लोग खड़े हुए हैं, उनके लिए जनता लगी है, पर आज क्या हो रहा है. एक-एक उम्मीदवार पानी की तरह पैसे बहा रहे हैं, वोट खरीदे जा रहे हैं. वोट खरीद कर लोग मुखिया सरपंच बन रहे हैं, पर सम्मान नहीं मिल पा रहा है. पहले मुखिया-सरपंच किसी गांव टोले में चले जाते थे तो पूरा गांव-टोला जुटता था, पर आज मुखिया जिस टोला में रहते हैं, उस टोला में भी आमराय नहीं बना पाते. ऐसी स्थिति में कहां से ग्रामस्वराज का सपना सकार होगा,मानसिकता में बदलाव जरूरी है, तभी अपेक्षित विकास होगा. पहले पंचायत के स्तर से वे लोग जो फैसला करते थे, उस पर कोई उंगली तक नहीं उठाता था. कोर्ट में भी मान्यता थी, पर अब वह बात कहां है?
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2…अब जमाना बदल गया: दारोगा सिंह
2…अब जमाना बदल गया: दारोगा सिंह फोटो-30 डालपीएच-10मेदिनीनगरवर्तमान दौर को देख कर तो घुटन होती है. सोचते हैं कि वह क्या दौर था और आज क्या हो रहा है. यह कहना है दारोगा सिंह का. दारोगा सिंह कजरी के रहने वाले हैं. 1960 से 1978 तक वह गाड़ीखास पंचायत के सरपंच रहे थे. आज के […]
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