सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक बड़ा हॉल तथा साइकिल स्टैंड भी बनाया गया था. कभी इस स्कूल की छठी से 10वीं कक्षा में करीब एक हजार बच्चे पढ़ते थे. ये सभी ललपनिया, तेनुघाट, सरहचिया, झिरकी, बोकारो थर्मल, नैनाटांड़, छपरगढ़ा, साड़म व होसिर जैसे दूरदराज इलाके से आते थे. तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन (टीटीपीएस) तथा बोकारो थर्मल पावर स्टेशन (बीटीपीएस) प्रबंधन बच्चों को बस की सुविधा भी देता था. पर सरकार के साथ-साथ पूरे सिस्टम ने इन बच्चों के साथ छल किया़ धीरे-धीरे सारी सुविधाएं समाप्त होती चली गयी. कुछ जन प्रतिनिधयों ने पठन-पाठन का माहौल बनाने की कोशिश की. पर असफल रहे. गोमिया के पूर्व विधायक माधवलाल सिंह यहां सेवानिवृत्त शिक्षकों के जरिये पढ़ाई कराना चाहते थे.
पर वेतन का जुगाड़ नहीं हुआ. अब वर्तमान विधायक योगेंद्र प्रसाद महतो ने विधानसभा के मानसून सत्र में इस स्कूल का मुद्दा उठाया था. इस पर जल संसाधन विभाग की अोर से जानकारी दी गयी कि मानव संसाधन विभाग से इस स्कूल का अधिग्रहण कर इसका संचालन करने का आग्रह किया गया था, पर उसने इनकार कर दिया. अब मानव संसाधन विभाग से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा गया है. जल संसाधन विभाग इस स्कूल के संचालन के लिए अन्य विकल्प के बारे भी विचार करेगा.तब तक बच्चे इस अनोखे स्कूल में पढ़ने को विवश हैं.