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21,516 करोड़ के खर्च पर सीएजी ने की थी आपत्ति, राज्य सरकार ने नहीं दिया कोई जवाब

रांची : सरकार ने सीएजी द्वारा ऑडिट के दौरान 21,516.83 करोड़ के खर्च पर उठायी गयी आपत्तियों का जवाब नहीं दिया है. उपयोगिता प्रमाण पत्र केंद्र सरकार को उपलब्ध नहीं कराया. इसकी वजह से किशोरी सशक्तिकरण योजना सहित महिलाओं की अन्य योजनाओं में केंद्र ने आर्थिक सहायता नहीं दी. झारखंड में 44.93 करोड़ की लागत […]

रांची : सरकार ने सीएजी द्वारा ऑडिट के दौरान 21,516.83 करोड़ के खर्च पर उठायी गयी आपत्तियों का जवाब नहीं दिया है. उपयोगिता प्रमाण पत्र केंद्र सरकार को उपलब्ध नहीं कराया. इसकी वजह से किशोरी सशक्तिकरण योजना सहित महिलाओं की अन्य योजनाओं में केंद्र ने आर्थिक सहायता नहीं दी. झारखंड में 44.93 करोड़ की लागत से बीपीएल परिवारों के लिए बनाये गये 8.99 लाख शौचालय ध्वस्त हो गये हैं. धनबाद गंभीर रूप से प्रदूषित शहर है. 1463 करोड़ की लागत से बनी प्रदूषण नियंत्रण योजना पर कोई काम नहीं हुआ. झारखंड के प्रधान लेखा परीक्षक (पीएजी) एस रमन ने यह बात कही.

श्री रमन ने कहा कि शुक्रवार को विधानसभा में दो ऑडिट रिपोर्ट पेश किये गये. पहला सिविल ऑडिट रिपोर्ट और दूसरा पंचायती संस्थाओं और उनकी गतिविधियों से संबंधित रिपोर्ट है. विधानसभा में पेश रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सितंबर 2013 तक पीएजी की आेर से 35 विभागों से संबंधित 21,516.83 करोड़ के खर्च पर आपत्तियों के साथ 2917 निरीक्षण प्रतिवेदन राज्य सरकार को भेजे गये. पर, राज्य सरकार ने इनमें से एक का भी जवाब नहीं दिया. निर्मल भारत अभियान की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मार्च 2014 तक 22 प्रतिशत बीपीएल परिवारों और सात प्रतिशत एपीएल परिवारों के पास शौचालय थे. 2012-13 के आधारभूत संर्वेक्षण के दौरान यह पाया गया कि बीपीएल परिवारों के 8.99 लाख शौचालय ध्वस्त हो गये हैं. विभिन्न अधिकारियों के पास 4.34 करोड़ रुपये का अग्रिम पड़ा हुआ है.
महिलाओं से जुड़ी योजनाओं की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 2012 तक 16 महिला आइटीआइ स्थापित करने के लक्ष्य के मुकाबले 10 के भवन निर्माण का काम पूरा हो चुका है, पर इनमें से एक भी महिला आइटीआइ शुरू नहीं हुआ है. 5.15 करोड़ रुपये रहने के बावजूद जमशेदपुर और महिला आइटीआइ में नये व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की शुरूआत नहीं की गयी है. इन आइटीआइ में प्राचार्य के बदले प्रभारी प्राचार्य पदस्थापित हैं. प्रभारी प्राचार्य को पैसा खर्च करने का अधिकार नहीं है. हजारीबाग में बनाये गये महिला आइटीआइ के भवन पर वर्ष 2000 से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल का कब्जा है. छह महिला आइटीआइ में 67 से 71 प्रतिशत तक शिक्षण कार्य और गैर शिक्षण कार्य से जुड़े कर्मचारियों की कमी है. प्रदूषण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने धनबाद को गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्र घोषित किया है.

वर्ष 2010 में धनबाद सदर, झरिया, गोविंदपुर और निरसा प्रखंड के गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया है. धनबाद के प्रदूषण नियंत्रण के लिए 1463 करोड़ की योजना बनायी गयी थी. इसके तहत 28 तरह की गतिविधियों को संचालित किया जाना था, पर इस सिलसिले में कोई काम नहीं हुआ. दामोदर नदी का जल प्रदूषित है. झरिया में वायु भी प्रदूषित है. वहां प्रदूषण 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक है. भारत सरकार ने 2009 से 2013 तक किशोरी सशक्तिकरण योजना में पैसे नहीं दिये. सबला योजना के तहत रांची और हजारीबाग में बालिकाओं को 300 दिन का टेक होम राशन देने के लिए आवश्यक पैसों का आवंटन नहीं हुआ था. उपलब्ध राशि से अधिकतम 152 दिनों तक ही राशन दिया जा सकता था. मुख्यमंत्री लक्ष्मी लाडली योजना में उपलब्धी 18 से 28 प्रतिशत के बीच है. इसकी वजह संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी नहीं होना है.
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत प्राप्त आवेदनों को नहीं रखे जाने की वजह से ऑडिट के दौरान इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी कि सभी योग्य लाभार्थियों को योजना का लाभ मिला या नहीं. आवश्यकताओं का आकलन किये बिना ही राशि का आवंटन करने की वजह से 2011 से 2014 तक की अवधि में कुछ विद्यालयों में 15 से 45 दिन तक मध्याह्न भोजन नहीं मिला. सोलर ऊर्जा की चर्चा करते हुए पीएजी ने कहा कि 2009 से 2014 की अवधि में जेरेडा ने 223.42 करोड़ में से केवल 121.36 करोड़ का उपयोग किया. 18000 मेगावाट के सोलर एनर्जी क्षमता के मुकाबले केवल 16 मेगावाट से संबंधित संयंत्र स्थापित किये गये. 4423 ग्राम पंचायतों कार्यालयों में से 2576 में जेरेडा द्वारा सोलर एनर्जी से बिजली नहीं पहुंचायी जा सकी, जिससे ई-गर्वनेंस सेवा बाधित हुई.

मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के तहत बियरगरा नदी में खराब पुल के निर्माण से 2.18 करोड़ रुपये का अपव्यय हुआ. नौ योजनाओं की जांच के दौरान यह पाया गया कि एक ही मजदूर को एक ही दिन एक ही समय में अलग-अलग योजनाओं में काम करते हुए दिखा कर सरकारी राशि का गबन किया गया.

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