पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों का मानना है कि नक्सलियों के द्वारा गांवों में सरकार व पुलिस के खिलाफ प्रचार-प्रसार किया जाता है. कोई घटना होने पर नक्सली प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पुलिस के खिलाफ दुष्प्रचार करते हैं, इसलिए नक्सलियों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई के साथ-साथ मुहिम चला कर ग्रामीणों को जागरूक करना भी जरूरी है. ग्रामीणों को यह बताना जरूरी है कि कैसे नक्सलियों के द्वारा विकास योजनाओं को रोका जा रहा है. कैसे नक्सली आम लोगों के साथ अनैतिक काम कर रहे हैं.
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रांची: राज्य पुलिस अब नक्सलियों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई के साथ प्रचार-प्रसार की लड़ाई भी तेज करेगी. नक्सिलयों के खिलाफ प्रचार-प्रसार के लिए झारखंड पुलिस प्रोफेशनल्स की नियुक्ति करेगी. विभाग वैसे प्रोफेशनल्स को नियुक्त करेगी, जिन्हें रेडियो, टीवी या अन्य माध्यमों से अभियान चलाने का अनुभव प्राप्त हो. पिछले दिनों मुख्य सचिव की अध्यक्षता में […]
रांची: राज्य पुलिस अब नक्सलियों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई के साथ प्रचार-प्रसार की लड़ाई भी तेज करेगी. नक्सिलयों के खिलाफ प्रचार-प्रसार के लिए झारखंड पुलिस प्रोफेशनल्स की नियुक्ति करेगी. विभाग वैसे प्रोफेशनल्स को नियुक्त करेगी, जिन्हें रेडियो, टीवी या अन्य माध्यमों से अभियान चलाने का अनुभव प्राप्त हो. पिछले दिनों मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में डीजीपी ने इसकी जानकारी अधिकारियों को दी थी.
पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों का मानना है कि नक्सलियों के द्वारा गांवों में सरकार व पुलिस के खिलाफ प्रचार-प्रसार किया जाता है. कोई घटना होने पर नक्सली प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पुलिस के खिलाफ दुष्प्रचार करते हैं, इसलिए नक्सलियों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई के साथ-साथ मुहिम चला कर ग्रामीणों को जागरूक करना भी जरूरी है. ग्रामीणों को यह बताना जरूरी है कि कैसे नक्सलियों के द्वारा विकास योजनाओं को रोका जा रहा है. कैसे नक्सली आम लोगों के साथ अनैतिक काम कर रहे हैं.
क्या है योजना
आम लोगों की नजर में पुलिस तंत्र की छवि में सुधार लाने के लिए पुलिस मुख्यालय की ओर से कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. पुलिस मुख्यालय द्वारा गांव और टोलों के स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत नुक्कड़ नाटक, पोस्टर, बैनर, वीडियो/अॉडियो क्लीप के माध्यम से सरकर की योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. इसे और तेज किया जायेगा. साथ ही नक्सलियों द्वारा आम जनता के साथ किये जा रहे अनैतिक कार्यों की भी जानकारी ग्रामीणों को दी जायेगी.
खेलकूद उपकरण बांटती है पुलिस
ग्रामीणों के बीच पुलिस की छवि सुधारने के लिए पुलिस विभाग अभी कम्यूनिटी पुलिसिंग के तहत नक्सल प्रभावित इलाकों में फुटबॉल टूर्नामेंट करवाती है. वहीं मेडिकल कैंप लगवाती है. इसके अलावा किताब-कॉपी व वस्त्र वितरण का कार्यक्रम चलाती है. इसके लिए सिक्यूरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर हर जिला की पुलिस को 10-10 लाख रुपये दिये जाते हैं. सीआरपीएफ के डीआइजी को इसके तहत प्रति बटालियन 12-12 लाख रुपये उपलब्ध कराये जाते हैं. इस राशि से सीआरपीएफ द्वारा ग्रामीणों के बीच कृषि उपकरण का वितरण किया जाता है. कई बार ग्रामीणों को वोकेशनल ट्रेनिंग भी दी जाती है.
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