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झारखंड को विशेष पैकेज क्यों नहीं ?

रांची : झारखंड विकास के मापदंडों पर राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे है. देश के सर्वाधिक गरीब 19 जिलों में से आठ जिले इसी राज्य में हैं. विकास के मापदंडों के राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने के लिए सरकार की ओर से विशेष राज्य का दर्जा देने या विशेष पैकेज देने की मांग लगातार की जाती […]

रांची : झारखंड विकास के मापदंडों पर राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे है. देश के सर्वाधिक गरीब 19 जिलों में से आठ जिले इसी राज्य में हैं. विकास के मापदंडों के राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने के लिए सरकार की ओर से विशेष राज्य का दर्जा देने या विशेष पैकेज देने की मांग लगातार की जाती रही है. पर, इसे यह कहते हुए नकार दिया जाता रहा है कि खनिजों के मामले में झारखंड देश का सबसे धनी राज्य है. इसे खनिजों की रायल्टी देने में भी भेदभाव बरता जाता है.
एकीकृत बिहार का विभाजन 2000 में हुआ. झारखंड नया राज्य बना. विभाजन के वक्त राजनीतिक स्तर पर बिहार की ओर से यह दलील दी जाती रही कि राजस्व के सभी स्रोत झारखंड के हिस्से में चले गये. पर विभाजन के वक्त एकीकृत बिहार के कुल राजस्व का 55 प्रतिशत झारखंड के क्षेत्र से मिलता था अर्थात राज्य विभाजन के बाद एकीकृत बिहार के कुल राजस्व का 55 प्रतिशत स्रोत ही झारखंड के हिस्से में आया. मात्र 10 प्रतिशत के अधिक राजस्व स्रोत के साथ झारखंड को विरासत में गरीबी, अशिक्षा और आधी अधूरी आधारभूत संरचनाएं मिली थीं. राज्य विभाजन के वक्त यहां 54 प्रतिशत गरीबी थी. अब इसे 37 प्रतिशत बताया जाता. योजना आयोग के इस आंकड़े पर राज्य सरकार को आपत्ति है.
राज्य सरकार का मानना है कि सांख्यिकी मंत्रालय ने झारखंड में गरीबी का आकलन करने के लिए रांची, धनबाद, जमशेदपुर सहित कुछ अन्य जिलों को चुना था. इन जिलों के औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े होने की वजह से लोगों की औसत आमदनी थोड़ी ज्यादा है. इसलिए इन जिलों के निवासियों द्वारा विभिन्न वस्तुओं पर किये जानेवाले खर्च और उनके खाने पीने की चीजों में कैलोरी मात्रा के आधार पर, राज्य में गरीबी का सही आकलन नहीं किया जा सकता है.
राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार, राज्य के ग्रामीण क्षेत्र आज भी देश के सर्वाधिक गरीब ग्रामीण क्षेत्रों में हैं. राज्य सरकार ने वित्त आयोग के सामने सांख्यिकी मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा था कि झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में 49 प्रतिशत गरीबी है. ओड़िशा में ग्रामीण क्षेत्रों में 48 प्रतिशत,असम में 40 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 37 प्रतिशत और बिहार में 44 प्रतिशत गरीबी है. राज्य में स्वास्थ्य और कुपोषण की स्थिति का जिक्र करते हुए यह कहा गया था कि राज्य में 70 प्रतिशत महिलाएं एनिमिया की शिकार हैं और 70 प्रतिशत बच्चे अंडर-वेट हैं.
इस स्थिति के मद्देनजर राज्य सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी स्थिति सुधारने के लिए वित्त आयोग से 113274.04 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की मांग की थी. योजना आयोग के समक्ष और नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल की बैठकों में सरकार की ओर से झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की जाती रही है. पर, इसे अब तक ना तो माना गया है ना ही विशेष पैकेज दिये गये.

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