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सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की जिम्मेवारी अधिक

रांची : राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित शिक्षकों का मानना है कि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों में क्वालिटी है, लेकिन वह अपनी भूमिका में खरे नहीं उतर पाते. निजी स्कूल की तुलना में सरकारी स्कूल के शिक्षकों की जिम्मेवारी अधिक है, क्योंकि यहां बच्चों को चयन करने का अवसर नहीं मिलता. इन पर हर बच्चे […]

रांची : राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित शिक्षकों का मानना है कि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों में क्वालिटी है, लेकिन वह अपनी भूमिका में खरे नहीं उतर पाते. निजी स्कूल की तुलना में सरकारी स्कूल के शिक्षकों की जिम्मेवारी अधिक है, क्योंकि यहां बच्चों को चयन करने का अवसर नहीं मिलता. इन पर हर बच्चे को शिक्षा देकर उसे काबिल बनाने की जिम्मेवारी है.
इनका यह भी मानना है कि गरीबी शिक्षा में बाधक नहीं बनती. कड़ी मेहनत करने पर सफलता अवश्य मिलती है. गौरतलब है कि राज्य के चार शिक्षकों को राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है.
इनमें राजकीय कन्या मध्य विद्यालय लुकलुकी गोड्डा के उदयकांत सिंह, अपग्रेड उर्दू मध्य विद्यालय इचाक के रियाजुददीन खान, एसएस हाइस्कूल खूंटी के रामराय मेलगांदी और मांगीलाल रूंगटा सीनियर सेकेंड्री स्कूल चाईबासा के प्रधानाध्यापक अशोक कुमार सिंह शामिल है.
इचाक : हजारीबाग जिले के इचाक प्रखंड स्थित उत्क्रमित मवि उर्दू मंगुरा के शिक्षक रियाजुद्दीन खान को शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयन किया गया है. वह खान बरकट्ठा थाना क्षेत्र के कोनहरा खुर्द के रहनेवाले हैं. उनके पिता स्व हाजी जानवाज खान तथा मां तैमुन निशा है.
उन्होंने जीव विज्ञान से एमएससी एवं अंग्रेजी से एमए की शिक्षा प्राप्त की है. इसके अलावा बीटी, बीएड, एलएलबी की डिग्री भी हासिल की है. उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा मवि बरक ट्ठा से, उच्च शिक्षा उवि बरकट्ठा से तथा बीएड-बीएससी संत कोलंबस कॉलेज किया है.
वह विश्वविद्यालय में थर्ड टॉपर रहे. 10 अक्तूबर 1994 को रियाजुद्दीन खान प्राथमिक शिक्षक के रूप में नियुक्त किये गये. प्रथम योगदान उन्होंने चौपारण प्रखंड के मवि रामपुर में दिया. अक्तूबर 2002 में बरकट्ठा प्रखंड के उत्क्रमित मवि सक्रेज, सदर प्रखंड के मवि उर्दू नूरा में भी बच्चों को पढ़ाया. 13 मई 2011 से इचाक प्रखंड के मवि उर्दू मंगुरा में सेवा दे रहे हैं.
इस बीच तीन वर्ष तक ये हिंदू उवि हजारीबाग में प्रतिनियोजित थे. पूर्व में भी उन्हें राज्य स्तर पुरस्कृत किया गया है.
खूंटी. जिला के एसएस हाई स्कूल में विज्ञान के शिक्षक रामराय मेलगांडी को राष्ट्रपति पुरस्कार मिलेगा. वह मूल रूप से पश्चिम सिंहभूम जिला के सोनुवा प्रखंड के आसनतलिया गांव के हैं. उनके पिता स्व विजय सिंह मेलगांडी एक मामूली किसान थे.
अपने दो पुत्रों रामराय मेलगांडी एवं रामलाल मेलगांड़ी को साक्षर बनाने के लिए उन्होने दूसरों के घर मजदूरी की. गरीबी के बीच रामराय मेलगांडी ने बीएड एवं बड़े भाई रामलाल मेलगांडी(वर्तमान में जीवित नही) ने पढ़ाई पूरी की व पंचायत सेवक बने. रामराय मेलगांडी ने एसएस हाई स्कूल खूंटी में शिक्षक के पद पर 1994 में योगदान दिया. उस समय स्कूल में विज्ञान का रिजल्ट खराब होता था. उन्होंने छात्रों को अतिरिक्त कक्षाएं लेकर रिजल्ट बेहतर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.
गोड्डा. बालिका उच्च विद्यालय गोड्डा के शिक्षक उदयकांत सिंह गत 34 वर्ष से शिक्षण कार्य कर रहे हैं. उनका चयन राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए किया गया है. उनसे शिक्षा प्राप्त करने वाले कई विद्यार्थियों ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों उल्लेखनीय सफलता हासिल की है. इतना ही नहीं श्री सिंह ने शिक्षा, ज्ञान-विज्ञान से संबंधित राष्ट्रीय स्तर के कई सम्मेलनों में भी सम्मान हासिल किया है.
उनका पैत्रिक गांव बिहार के बांका जिले में है. उनका जन्म पाकुड़ के हिरणपुर में हुआ जहां प्रारंभिक शिक्षा के साथ उन्होंने 1975 में प्रथम श्रेणी में मैट्रिक की परीक्षा पास की. उन्होंने बोटनी से एमएससी किया है. श्री सिंह ने कहा कि निष्पक्ष भाव से काम करते रहना ही जीवन में सीखा है. अच्छे शिक्षक का काम केवल छात्रों का विकास करना है. गत 27 जुलाई को श्री सिंह को प्रभात खबर की ओर से आयोजित प्रतिभा सम्मान कार्यक्रम में सम्मानित किया गया था.
चाईबासा. चाईबासा के रूंगटा प्लस टू हाई स्कूल के प्राचार्य अशोक सिंह को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है.अशोक सिंह 33 साल की सेवा के बाद 31 अगस्त 2015 को सेवानिवृत्त हो रहे है. उन्होंने अपनी सफलता के पीछे कार्यप्रणाली, समय व समर्पण भाव को अहम बताया. उनका कहना है कि किसी भी विषय पर तुरंत निर्णय लेना ही मेरी कामयाबी का कारण बना.
उन्होंने कहा कि नयी पीढ़ी को सीख देने के लिये वह हमेशा प्रयासरत रहेंगे. यह कहना गलत है कि सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा नहीं मिलती है. अच्छे पदों पर आसीन अधिकतर लोग सरकारी स्कूलों से ही निकले हैं. महंगी शिक्षा के चलते गरीब विद्यार्थियों को उचित प्लेटफॉर्म नहीं मिल पता है. यही कारण है कि वे प्रतिस्पर्धा से पिछड़ जाते हैं. शिक्षण शुल्क में समरूपता लाने पर ही इस समस्या का समाधान हो पायेगा.

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