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हर साल बढ़ रहा 4640 मुकदमों का बोझ

हाइकोर्ट में जजों की कमी, 11 पद रिक्त सतीश कुमार रांची : देश की अन्य अदालतों की तरह झारखंड हाइकोर्ट भी लंबित मुकदमों के बोझ से दबी हुई है. राज्य गठन के बाद से ही लंबित मुकदमों में लगातार वृद्धि हो रही है. पिछले 14 साल में लंबित मुकदमों की संख्या में पांच गुणा से […]

हाइकोर्ट में जजों की कमी, 11 पद रिक्त
सतीश कुमार
रांची : देश की अन्य अदालतों की तरह झारखंड हाइकोर्ट भी लंबित मुकदमों के बोझ से दबी हुई है. राज्य गठन के बाद से ही लंबित मुकदमों में लगातार वृद्धि हो रही है. पिछले 14 साल में लंबित मुकदमों की संख्या में पांच गुणा से अधिक वृद्धि हुई है.
आंकड़ों के आधार पर हर वर्ष औसतन 4640 मुकदमों का बोझ हाइकोर्ट पर बढ़ रहा है. वर्ष 2001 में झारखंड हाइकोर्ट में लंबित मामलों की संख्या 14,838 थी. वर्ष 2012 में यह संख्या बढ़ कर 62000 हो गयी. फिलहाल हाइकोर्ट में लंबितमुकदमों की संख्या 79807 (19 जून 2015 तक) है. राज्य गठन के समय से झारखंड हाइकोर्ट में जजों की कमी रही है.
पिछले 14 वर्ष में सिर्फ बार ही जजों की फुल स्ट्रेंथ थी. राज्य गठन के समय यहां जजों के 12 स्वीकृत पद थे. इसका स्ट्रेंथ बढ़ा कर 20 किया गया. पिछले साल हाइकोर्ट में जजों के स्वीकृत पदों की संख्या को बढ़ा कर 25 कर दिया गया है. फिलहाल हाइकोर्ट अपने फुल स्ट्रेंथ में काम नहीं कर रहा है. अभी भी जजों के 11 पद खाली हैं. हाइकोर्ट में चीफ जस्टिस समेत 14 जज ही कार्यरत हैं.
राज्य में हर दिन दायर होते हैं 700 नये मुकदमे
झारखंड हाइकोर्ट और निचली अदालतों में प्रत्येक कार्य दिवस में औसतन 700 नये मुकदमे दायर होते हैं. इनमें आपराधिक मामलों की संख्या लगभग 550 होती है. शेष मामले सिविल विवाद से जुड़े होते हैं. झारखंड हाइकोर्ट में प्रत्येक कार्य दिवस में लगभग 150 मुकदमे दायर किये जाते हैं.
वर्ष 2012 में हाइकोर्ट में 32,440 नये मुकदमे दर्ज हुए थे. इस दौरान 30,030 मुकदमों का निष्पादन हुआ. इसी प्रकार निचली अदालत में वर्ष 2012 के दौरान 1,24,516 नये मुकदमे दायर हुए. इनमें निष्पादित मुकदमों की संख्या 1,23,777 थी.

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