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अधिकतर गरीब एवं वंचित ही पाते हैं मृत्युदंड : शाह

नयी दिल्ली. फांसी आमतौर पर गरीबों और पददलितों को ही होने की बात पर गौर करते हुए विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एपी शाह ने कहा है कि देश में मौत की सजा पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति शाह ने कहा, व्यवस्था में विसंगतियां हैं […]

नयी दिल्ली. फांसी आमतौर पर गरीबों और पददलितों को ही होने की बात पर गौर करते हुए विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एपी शाह ने कहा है कि देश में मौत की सजा पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति शाह ने कहा, व्यवस्था में विसंगतियां हैं और अपराध के लिए दंडित करने के वैकल्पिक मॉडल की आवश्यकता है और भारत में मृत्युदंड पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. न्यायमूर्ति शाह ‘यूनिवर्सल एबॉलिशन ऑफ डेथ पेनाल्टी (ए ह्यूमन राइट्स इंपरेटिव)’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे. इस कार्यक्रम का आयोजन विधि आयोग ने ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी और राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के साथ मिल कर किया.

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