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वित्तीय अनियमितता में फंसी
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष रूप लक्ष्मी मुंडा जांच समिति ने आरोपों को सही पाया दीपक रांची : झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष रूप लक्ष्मी मुंडा पर सरकारी राशि को खर्च करने में अनियमितता बरतने के आरोप को जांच समिति ने सही पाया है. इन पर 45 लाख रुपये […]
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष रूप लक्ष्मी मुंडा
जांच समिति ने आरोपों को सही पाया
दीपक
रांची : झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष रूप लक्ष्मी मुंडा पर सरकारी राशि को खर्च करने में अनियमितता बरतने के आरोप को जांच समिति ने सही पाया है. इन पर 45 लाख रुपये से अधिक की राशि खर्च करने में वित्त विभाग के नियमों का पालन नहीं करने का आरोप है.
यह गड़बड़ी उनके कार्यकाल में हुई है. गड़बड़ी को लेकर गठित उच्च स्तरीय जांच समिति ने भी समाज कल्याण, महिला और बाल विकास विभाग की प्रधान सचिव मृदुला सिन्हा को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. जांच समिति में अपर सचिव और उप सचिव स्तर के अधिकारी थे, जिन्हें आयोग के पूर्व अध्यक्ष के कार्यकाल की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया था.
अग्रिम राशि लेकर खर्च की गयी राशि : जांच समिति ने कहा है कि श्रीमती मुंडा और अन्य सदस्यों की ओर से कार्यक्रम आयोजन के नाम पर बड़ी राशि अग्रिम के रूप में ली गयी, जिसे बाद में वेतन के रूप में सामंजित किया गया. अग्रिम ली गयी राशि का लेखा-जोखा भी बगैर अग्रिम पंजी के रूप में ही सरकार को सौंप दिया गया. इन पर जन सुनवाई के क्रम में 12.58 लाख रुपये खर्च करने की बातें भी सामने आयी, जिसकी इंट्री कैश बुक में नहीं है.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और एसएसआर से मिले 36.64 लाख का भी हिसाब नहीं दिया गया. 2014-15 में आयोग को 45.61 लाख रुपये भी मिले हैं. इसका भी ऑडिट किया जा रहा है.
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012-13, 13-14 और 14-15 में सिर्फ वेतन के रूप में श्रीमती मुंडा ने वेतन में 32 लाख रुपये लिये, जबकि इस दरम्यान यात्र और अन्य भत्ते में 17 लाख रुपये से अधिक राशि ली गयी.
सात मई को समाप्त हुआ है श्रीमती मुंडा का कार्यकाल : राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष रही श्रीमती मुंडा का कार्यकाल सात मई 2015 को समाप्त हो गया है.
जांच रिपोर्ट आ गयी है. इसके सभी पहलुओं को देखा जा रहा है. जरूरत पड़ी तो और विस्तृत जांच करायी जायेगी. चूंकि यह वित्तीय अनियमितता का मामला है. इसलिए ऑडिट की रिपोर्ट भी खंगाली जायेगी.
मृदुला सिन्हा, समाज कल्याण महिला और बाल विकास विभाग की प्रधान सचिव
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