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मुख्यमंत्री का आदेश भी बेअसर

व्यवस्था में कोई सुधार नहीं, जिम्मेवार बने लापरवाह मुख्यमंत्री ने पास बनाने एवं जांच के बाद वार्ड में प्रवेश करने का दिया था निर्देश रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में मुख्यमंत्री रघुवर दास के आदेश का भी पालन नहीं होता. मुख्यमंत्री के निर्देश पर एक सप्ताह तक अस्पताल परिसर में सख्ती दिखी, […]

व्यवस्था में कोई सुधार नहीं, जिम्मेवार बने लापरवाह
मुख्यमंत्री ने पास बनाने एवं जांच के बाद वार्ड में प्रवेश करने का दिया था निर्देश
रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में मुख्यमंत्री रघुवर दास के आदेश का भी पालन नहीं होता. मुख्यमंत्री के निर्देश पर एक सप्ताह तक अस्पताल परिसर में सख्ती दिखी, लेकिन इसके बाद निर्देश का असर खत्म हो गया. निर्देश के बाद जहां जांच के लिए सुरक्षा कर्मियों की नियुक्ति की गयी थी, वहां से उन्हें हटा दिया गया है. इससे अब बिना रोक-टोक के लोग अस्पताल परिसर में प्रवेश कर जाते हैं. यही नहीं महत्वपूर्ण वार्ड, जहां एक से ज्यादा परिजन के प्रवेश पर रोक है, वहां भी परिजनों का आना-जाना लगा रहता है. आइसीयू में बिना प्रवेश के परिजनों की आवाजाही लगी रहती है.
सिर्फ दिखाने के लिए लगाये गये थे गार्ड
मुख्यमंत्री के आदेश के बाद रिम्स प्रबंधन ने सुरक्षा एजेंसी को सख्ती बरतने का निर्देश दिया था. इसके बाद सुरक्षा गार्ड को कैश काउंटर, उपाधीक्षक कार्यालय के पास जांच के लिए लगाया गया. प्रवेश द्वार पर दो से तीन सुरक्षा गार्ड तैनात किये गये, जिसमें एक महिला सुरक्षा गार्ड भी शामिल थी. सुरक्षा कर्मी गेट पर परची दिखाने के बाद ही परिजनों को जाने देते थे, लेकिन अब उपाधीक्षक कार्यालय के पास के प्रवेश द्वार से सुरक्षा गार्ड को हटा दिया गया है. इससे परिजन आसानी से वहां से प्रवेश कर जाते हैं. कई वार्ड में सुरक्षा गार्ड नहीं है. एक सुरक्षा गार्ड को आमने-सामने के वार्ड की जिम्मेदारी दी गयी है.
आदमी देख कर मिल जाता है प्रवेश : अस्पताल परिसर एवं वार्ड में आदमी देख कर प्रवेश मिल जाता है. अगर व्यक्ति अच्छा कपड़ा पहने हुए है, तो उससे सुरक्षा गार्ड पास के बारे में नहीं पूछते हैं. वहीं, ग्रामीण क्षेत्र से आनेवाले लोगों को रोक कर पूछताछ की जाती है.
यह कैसा सुधार है स्वास्थ्य मंत्री जी?
स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी आजकल जब भी रिम्स आते हैं, यही कहते हैं कि रिम्स सुधर रहा है. पहले से व्यवस्थाएं सुधरी रही हैं. मरीजों को अच्छी सेवाएं मिल रही हैं, लेकिन जब मरीज को परिजन टांग कर ले जायें, परिजन खुद ट्रॉली घसीटें एवं मरीज को परिजन वार्ड में शिफ्ट करायें, तो क्या रिम्स सुधर रहा है? यह सवाल पूछ रहे हैं परिजन. शुक्रवार को पलामू निवासी हरे राम राय बेटी को वार्ड में ले जाने के लिए खुद ट्रॉली खींच रहा था. एक व्यक्ति बेटे को कंधे पर ले जा रहा था.
उपाधीक्षक कार्यालय के प्रवेश द्वार से हमारे चिकित्सक एवं कर्मचारी का प्रवेश होता है, इसलिए वहां ज्यादा सख्ती नहीं है. इसके बावजूद गार्ड जिसे नहीं जानते हैं, उसे रोकते हैं. हमने एक गुणा 24 के फोर्स की मांग की है. सरकारी पुलिसकर्मी के आते ही मुख्य प्रवेश द्वार पर उनकी नियुक्ति की जायेगी. इसके बाद नियमों का पालन हो पायेगा.
डॉ एसके चौधरी, निदेशक रिम्स

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