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राज्यसभा चुनाव, 2010 : पांच पूर्व विधायकों के खिलाफ आरोप पत्र दायर
राज्यसभा चुनाव, 2010 : हॉर्स ट्रेडिंग मामले में सीबीआइ की कार्रवाई तत्कालीन विधायकों पर वोट के बदले पैसा मांगने का आरोप भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,8, और 9 के तहत आरोपित किया गया रांची : सीबीआइ ने राज्यसभा चुनाव 2010 में हार्स ट्रेडिंग के आरोप में पांच तत्कालीन विधायकों के खिलाफ आरोप पत्र दायर […]
राज्यसभा चुनाव, 2010 : हॉर्स ट्रेडिंग मामले में सीबीआइ की कार्रवाई
तत्कालीन विधायकों पर वोट के बदले पैसा मांगने का आरोप
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,8, और 9 के तहत आरोपित किया गया
रांची : सीबीआइ ने राज्यसभा चुनाव 2010 में हार्स ट्रेडिंग के आरोप में पांच तत्कालीन विधायकों के खिलाफ आरोप पत्र दायर कर दिया. इन विधायकों पर वोट देने के लिए एक से दो करोड़ रुपये मांगने का आरोप लगाया गया है.
सीबीआइ ने जिन पांच तत्कालीन विधायकों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है, उसमें साइमन मरांडी (जेएमएम, अब भाजपा में), उमाशंकर अकेला (भाजपा), राजेश रंजन (कांग्रेस), सावना लकड़ा (कांग्रेस) और योगेंद्र साव (कांग्रेस) का नाम शामिल है. इन तत्कालीन विधायकों पर वोट के बदले पैसा मांगने का आरोप लगाया गया है. राज्य सभा चुनाव 2010 में जेएमएम के प्रत्याशी केडी सिंह विजयी हुए थे. वह फिलहाल पश्चिम बंगाल से त्रिणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद है.
सीबीआइ अधिकारी सतीश झा ने सोमवार की सुबह सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश अखिल कुमार की अदालत में इन तत्कालीन विधायकों के खिलाफ तीन हिस्सों में आरोप पत्र दायर किया. पांचों विधायकों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,8, और 9 के तहत आरोपित किया गया है.
कांग्रेस के तीनों विधायकों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अलावा आइपीसी की धारा 171 ई और 120 बी के तहत भी आरोपित किया गया है. आरोप पत्र के एक हिस्से में राजेश रंजन, सावना लकड़ा और योगेंद्र साव को आरोपित किया गया है. दूसरे हिस्से में साइमन मरांडी और तीसरे हिस्से में उमाशंकर अकेला को आरोपित किया गया है. तीन अलग अलग हिस्सों में आरोप पत्र दायर करने का कारण इन विधायकों द्वारा अलग अलग स्थानों पर बातचीत कर पैसा मांगना है.
सबसे पहले तत्कालीन कांग्रेसी विधायक राजेश रंजन ने ट्रांजिट होस्टल में वोट के बदले पैसों की मांग की. इसके बाद पैसों की मांग को लेकर कैपिटोल रेजिडेंसी (स्टेशन रोड) में एक बैठक हुई. इसमें योगेंद्र साव और सावना लकड़ा शामिल हुए. इस तरह वोट के बदले पैसा मांगने के मामले में तत्कालीन तीनों कांग्रेसी विधायकों ने अपना एक समूह बना लिया. तत्कालीन जेएएम विधायक (अब भाजपा में) साइमन मरांडी और भाजपा विधायक उमाशंकर अकेला ने पैसों के लेन देन के लिए अलग अलग बात की.
साइमन और उमाशंकर ने अपने अपने विधायक आवास में लेन देन से संबंधित बात की थी. तत्कालीन विधायक टेक लाल महतो ने भी अपने विधायक आवास पर लेन देन की बात की थी. पर, उनकी मृत्यु की वजह से उन्हें आरोपित नहीं किया गया. इन विधायकों ने रिपोर्टर द्वारा किये जा रहे स्टिंग में एक अस्तित्व विहीन प्रत्याशी को वोट देने के लिए पैसों की मांग की थी.
हॉर्स ट्रेडिंग के इस मामले की जांच के दौरान साइमन मरांडी ने सीबीआइ को सहयोग नहीं किया. उन्होंने अपनी आवाज का नमूना देने से इनकार कर दिया था. इसके लिए कानूनी लड़ाई छेड़ रखी थी. सीबीआइ ने उनकी आवाज का नमूना विधानसभा के रिकार्ड से जुटाया और उसकी फॉरेंसिक जांच करवायी. जांच में सभी आरोपित विधायक की आवाज होने की पुष्टि हुई.
राज्यसभा चुनाव 2010 का इतिहास
राज्यसभा 2010 के चुनाव में सीएनएन आइबीएन ने राज्य के छह विधायकों का स्टिंग किया था. इसमें विधायकों द्वारा पैसा लेकर प्रत्याशियों को वोट देने के प्रस्ताव पर सहमति देने से संबंधित बातचीत दर्ज है.
न्यूज चैनल द्वारा इसे प्रसारित किये जाने के बाद चुनाव आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था. आयोग के निर्देश पर सरकार ने महाधिवक्ता की सलाह ली और निगरानी को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया. निगरानी ने छह में से चार विधायकों को नामजद अभियुक्त बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी. निगरानी ने सावना लकड़ा और योगेंद्र साव को अभियुक्त नहीं बनाया था.
निगरानी जांच की धीमी गति को देखते हुए झारखंड एगेंस्ट करप्शन ने 2012 में इस मामले में सीबीआइ जांच की मांग करते हुए जनहित याचिका दायर की. हाइकोर्ट ने सुनवाई के बाद 28 जनवरी 2013 को इस मामले में सीबीआइ जांच का आदेश दिया. कोर्ट के आदेश के आलोक में सीबीआइ मुख्यालय ने इसकी जांच रांची स्थित सीबीआइ की एसीबी शाखा को सौंपी.
सीबीआइ ने 20 फरवरी 2013 को इस सिलसिले में प्राथमिकी(2/13)दर्ज की. निगरानी जांच की अवधि में ही आरोपी विधायक टेक लाल महतो की मृत्यु हो गयी थी. इसलिए सीबीआइ ने शेष पांचों विधायकों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया.
राज्यसभा चुनाव 2010 में केडी सिंह विजयी हुए थे
राज्यसभा चुनाव 2010 में जेएमएम के अधिकृत प्रत्याशी केडी सिंह और कांग्रेस के प्रत्याशी धीरज साहू विजयी हुए थे. जबकि भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी अजय मारू को उनकी ही पार्टी का पूरा वोट नहीं मिला था.
केडी सिंह को कुल 32 वोट मिले थे. उन्हें जेएमएम, आजसू,राजद,जदयू व निर्देलीय विधायक ने वोट दिया था. धीरज साहू को 27 वोट मिले थे.
उन्हें जेवीएम,कांग्रेस के अलावा निर्दलीय विधायक एनोस एक्का, हरिनारायण राय और बंधु तिर्की ने वोट दिया था. भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी अजय मारू को 17 वोट मिले थे, जबकि भाजपा विधायकों की संख्या 18 थी. भाजपा विधायक रामचंद्र बैठा ने उन्हें वोट नहीं दिया था. वह चुनाव के दिन पूजा करते रह गये थे.
हॉर्स ट्रेडिंग एक नजर में
– सीएनएन आइबीएन ने छह विधायकों से लेन-देन से संबंधित समाचार प्रकाशित किया
– चुनाव आयोग ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया
– 4.8.2010 को राज्य सरकार ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया
– 5.8.2010 को निगरानी ने चार विधायकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की
– 10.4.2012 को झारखंड एगेंस्ट करप्शन ने पीआइएल दायर किया
– 28.1.2013 को हाइकोर्ट ने सीबीआइ जांच का आदेश दिया
– 20.2.2013 को सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज की
– 21.2.2013 को पांच विधायकों के ठिकानों पर छापा
– 4.4.2013 को नौ विधायकों व चार अन्य के ठिकानों पर छापा
– 24.5.2013 को कार्यपालक दंडाधिकारी, त्रिणमूल कांगेस के नेता और केडी सिंह से जुड़े व्यक्ति के ठिकानों पर छापा
– 22.6.2015 को आरोप पत्र दायर
इनके ठिकानों पर छापामारी हुई थी
अन्न पूर्णा देवी (आरजेडी), जनार्दन पासवान (आरजेडी), संजय कुमार यादव (आरजेडी), विष्णु भैया (जेएमएम), सुरेश पासवान (आरजेडी), सरफराज अहमद(कांग्रेस) , संजय सिंह यादव (आरजेडी), अनंत प्रताप देव(कांग्रेस)
सौरभ नारायण सिंह (कांग्रेस), अनूप संथालिया, तिलक अजमनी, जुएल टुडू (साइमन मरांडी के रिश्तेदार), मुकेश राय, शांतनु कुमार उर्फ गब्बू (त्रिणमूल कांग्रेस नेता) , संजय प्रसाद यादव (विधायक), रामकृष्णा (कार्यपालक दंडाधिकारी) , अर्जुन कुमार प्रसाद (एवियेशन अकादमी का गार्ड)
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