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स्कूल व विभाग के पेंच फंसा 12.5 लाख का भुगतान

रांची: अल्पसंख्यक स्कूल के अधिकार और शिक्षा विभाग के हस्तक्षेप के पेंच में जैक वीक्षकों के 12.5 लाख रुपये का भुगतान लटक गया है. संत मार्ग्ेट स्कूल में मैट्रिक की कॉपी की जांच हुई थी, जिसमें सौ से अधिक शिक्षक शामिल हुए थे. भुगतान का मामला इसलिए अटका, क्योंकि जिला शिक्षा पदाधिकारी जयंत कुमार मिश्र […]

रांची: अल्पसंख्यक स्कूल के अधिकार और शिक्षा विभाग के हस्तक्षेप के पेंच में जैक वीक्षकों के 12.5 लाख रुपये का भुगतान लटक गया है. संत मार्ग्ेट स्कूल में मैट्रिक की कॉपी की जांच हुई थी, जिसमें सौ से अधिक शिक्षक शामिल हुए थे. भुगतान का मामला इसलिए अटका, क्योंकि जिला शिक्षा पदाधिकारी जयंत कुमार मिश्र ने स्कूल प्रबंधन द्वारा प्राचार्या मधुलिका बखला के सेवा विस्तार को मान्यता नहीं दी.
विभाग के अनुसार वह 28 फरवरी 2015 को सेवानिवृत्त हो चुकी हैं. चेक कैश कराने के लिए प्राचार्या का हस्ताक्षर जरूरी है. 28 फरवरी के बाद मधुलिका बखला ने केंद्र अधीक्षक के रूप में मैट्रिक, इंटर व जेपीएससी की परीक्षा संचालित की है. मैट्रिक की कॉपी की जांच के दौरान इवेलुएशन सेंटर डाइरेक्टर भी थीं.
बिशप ने प्राचार्या को दिया था सेवा विस्तार
स्कूूल की प्राचार्या मधुलिका बखला की सेवानिवृत्ति की तिथि 28 फरवरी थी, जिसके पूर्व 18 फरवरी को स्कूल के पदेन अध्यक्ष, चर्च ऑॅफ नॉर्थ इंडिया छोटानागपुर डायसिस के बिशप बीबी बास्के ने उन्हें प्राचार्य पद पर तीन महीने का सेवा विस्तार दिया. उन्हें स्कूल के फंड से मानदेय की व्यवस्था की गयी. उघर, जिला शिक्षा पदाधिकारी ने 11 मार्च 2015 को पत्र जारी कर सेवा विस्तार को विभाग के नियम के विरुद्ध बताया और स्थायी प्रधानाध्यापिका की नियुक्त होने तक दैनिक कार्यो के निष्पादन के लिए विद्यालय के किसी वरीय शिक्षिका को प्रभारी प्रधानाध्यापिका बनाने व अभिप्रमाणित हस्ताक्षर के साथ सूचना देने का निर्देश दिया था.
अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के मामले में हस्तक्षेप
सीएनआइ छोटानागपुर डायसिस एजुकेशन सोसाइटी के सचिव जयंत अग्रवाल ने मधुलिका बखला की सेवा विस्तार पर सवाल को अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के अधिकार में शिक्षा विभाग का हस्तक्षेप कहा है. उन्होंने ‘मैनुअल ऑफ इंपार्टेट सरकुलर्स एंड ऑर्डर्स ऑन सेकेंडरी एंड अलायड एजुकेशन विथ एक्ट्स, रुल्स एंड गवर्मेट डिसिशनस्’ का हवाला देते हुए कहा कि अल्पसंख्यक स्कूलों की नियुक्तियों, निलंबन, सेवा व बरखास्तगी के मामलों में शिक्षा विभाग की स्वीकृति जरूरी नहीं है. बोर्ड शिक्षक नियुक्ति के संबंध में योग्यता अवश्य निर्धारित कर सकता है. उन्होंने कहा कि यदि सरकार अच्छे पदाधिकारियों को सेवा विस्तार देती है, तो अल्पसंख्यक संस्थान के बेहतर संचालन के लिए ऐसा करने पर सवाल क्यों उठाये जा रहे हैं?

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