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मोबाइल दारोगा का पद समाप्त होते ही राजस्व तीन गुना बढ़ा

विभाग के राजस्व में पांच गुना तक की वृद्धि संभव परिवहन विभाग के सूत्रों के अनुसार, 10 से 15 जून तक हुई वसूली की गति को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि मोबाइल दारोगाओं की व्यवस्था समाप्त करने के बाद विभाग के राजस्व में पांच गुना तक की वृद्धि संभव है. राज्य […]

विभाग के राजस्व में पांच गुना तक की वृद्धि संभव
परिवहन विभाग के सूत्रों के अनुसार, 10 से 15 जून तक हुई वसूली की गति को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि मोबाइल दारोगाओं की व्यवस्था समाप्त करने के बाद विभाग के राजस्व में पांच गुना तक की वृद्धि संभव है.
राज्य में चल रहे इन 10 चेक पोस्टों पर तैनात वाणिज्यकर अधिकारियों ने वैट के रूप में दो महीने में 59 लाख 92 हजार 63 रुपये की वसूली की है. राज्य में पहले दो ही इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट कार्यरत थे. वाणिज्यकर सचिव निधि खरे ने 15 अप्रैल से आठ अस्थायी इंटिग्रेटेड चेक पोस्टों की शुरुआत की. इससे राज्य में अब 10 इंटिग्रेटेड चेक पोस्टों के सहारे वैट और एमवीआइ एक्ट के तहत राजस्व की वसूली हो रही है.
रांची : राज्य में मोबाइल दारोगाओं का पद समाप्त होते ही परिवहन विभाग के राजस्व में तीन गुने की वृद्धि हुई है. वाणिज्यकर विभाग द्वारा शुरू किये गये 10 इंटीग्रेटेड चेक पोस्टों से राजस्व वसूली के आंकड़ों के विश्लेषण से इस बात की जानकारी मिलती है. पिछले दो माह में इन चेक पोस्टों से कुल 12.23 करोड़ रुपये राजस्व की वसूली हुई है. इसमें से वैट के रूप में 59.92 लाख रुपये की वसूली हुई है. जबकि मोटर वाहन अधिनियम(एमवीआइ एक्ट) के तहत 11.63 करोड़ रुपये की वसूली हुई है.
एमवीआइ एक्ट का उल्लंघन करनेवाले व्यावसायिक वाहनों से दंड की वसूली के लिए सरकार ने परिवहन विभाग में मोबाइल दारोगाओं को पदस्थापित कर रखा था. ये मोबाइल दारोगा अपने अपने पदस्थापन क्षेत्र में घूम-घूम कर वाहनों को पकड़ते थे और उनसे दंड वसूलते थे.
परिवहन विभाग के सूत्रों के अनुसार, इन मोबाइल दारोगाओं द्वारा प्रति माह अधिकतम दो करोड़ रुपये राजस्व की ही वसूली की जाती थी. राज्य में मोबाइल दारोगाओं के काले कारनामों के मद्देनजर सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के दौरान इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया.
नयी व्यवस्था के तहत सरकार ने वाणिज्यकर विभाग द्वारा शुरू किये गये इंटिग्रेटेड चेक पोस्टों पर तैनात वाणिज्यकर अधिकारियों को ही एमवीआइ एक्ट के तहत दंड वसूलने की शक्तियां दे दी गयी. मोबाइल दारोगा के माध्यम से दंड वसूली बंद कर शुरू की गयी इस नयी व्यवस्था से परिवहन विभाग के राजस्व में तीन गुना वृद्धि दर्ज की गयी है.
परिवहन विभाग को चेक पोस्टों से मिले आंकड़ों के अनुसार एमवीआइ एक्ट के उल्लंघन के आरोप में 10 जून को चेक पोस्टों से 29.81 लाख, 11 जून को 27.84 लाख, 12 जून को 29.53 लाख, 13 जून को 24.10 लाख, 14 जून को 32.16 लाख और 15 जून को 37.27 लाख रुपये की वसूली हुई है. दूसरी तरफ मोबाइल दारोगा पूरे राज्य में घूम घूम कर प्रति दिन औसतन सात लाख रुपये की ही वसूली करते थे. इसी से राज्य में सक्रिय रहे मोबाइल दारोगाओं के कारनामों को समझा जा सकता है.
एक चर्चित मोबाइल दारोगा ने तो अपने परिजनों के नाम 200 करोड़ रुपये की व्यावसायिक संस्था खड़ी कर ली है. इस मोबाइल दारोगा की पत्नी ने आयकर विभाग में रद्दी कागज बेच कर महीने में 10-15 लाख रुपये कमाने का दावा किया था.

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