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सबसे ज्यादा पैसा डूबता है गैर प्राथमिकता वाले क्षेत्र में
दिनेश केडिया रांची : ऐसे तो कर्ज लेने के बाद भुगतान नहीं करने या आनाकानी करने की शिकायत हर क्षेत्र में है लेकिन आंकड़े बताते हैं कि गैर-प्राथमिकता वाले क्षेत्र में बैंकों के पैसे ज्यादा डूब रहे हैं यानी इस क्षेत्र में ज्यादा एनपीए हो रहा है. गैर प्राथमिकता वाले क्षेत्र में खाते कम हैं, […]
दिनेश केडिया
रांची : ऐसे तो कर्ज लेने के बाद भुगतान नहीं करने या आनाकानी करने की शिकायत हर क्षेत्र में है लेकिन आंकड़े बताते हैं कि गैर-प्राथमिकता वाले क्षेत्र में बैंकों के पैसे ज्यादा डूब रहे हैं यानी इस क्षेत्र में ज्यादा एनपीए हो रहा है. गैर प्राथमिकता वाले क्षेत्र में खाते कम हैं, लेकिन राशि काफी ज्यादा है.
वहीं कृषि लोन में खाते सबसे ज्यादा हैं, लेकिन राशि काफी कम है. कृषि क्षेत्र में जहां प्रति खाता एनपीए 38,983 रुपये है, वहीं गैर प्राथमिक क्षेत्र का एनपीए 2.30 लाख रुपये प्रति खाता से ज्यादा है. छोटे व मंझौले उद्योगों का एनपीए भी 1.21 लाख रुपये है. राज्य में प्रति खाता औसत एनपीए 96,438 रुपये है. गैर प्राथमिक क्षेत्र में एनपीए इतना ज्यादा होने के बाद भी बैंकों ज्यादा इस क्षेत्र को ज्यादा कर्ज दिये जा रहे हैं.
सबसे ज्यादा लोन गैर प्राथमिक क्षेत्र को
बैंकों द्वारा हर साल लोन देने के लिए एक वार्षिक लक्ष्य रखा जाता है. इसमें हर क्षेत्र के लोन के लिए राशि तय की जाती है. आंकड़ों के अनुसार, इस मामले में भी बैंकों की पहली पसंद गैर प्राथमिकता वाले क्षेत्र ही हैं. गैर प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में बैंकों ने लक्ष्य का 95.87 प्रतिशत तक लोन दे दिया है, तो कृषि को लक्ष्य का आधा भी लोन नहीं दिया गया है. कृषि लोन व गैर प्राथमिक क्षेत्र को लोन राशि में तीन गुणा का अंतर है.
किस सेक्टर में क्या लोन
प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कृषि व लघु-मंझौले उद्योग के लोन को रखा गया है. वहीं अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्र में शिक्षा लोन, हाउसिंग लोन, सरकारी योजनाओं के तहत लोन को रखा गया है. गैर प्राथमिकता वाले लोन में बड़े उद्योग, मध्यम क्षेणी के उद्योग, रिटेल लोन आदि शामिल हैं.
सर्टिफिकेट केस बढ़े
बैंकों ने लोन वसूली के लिए सर्टिफिकेट केस करने शुरू कर दिये हैं, लेकिन अभी भी इनकी गति धीमी है. बैंक वसूली के लिए छोटे खाताधारकों पर ही केस कर रहे हैं. राज्य में कुल 381665 खाते एनपीए हैं.
इनमें से 1,12,433 खाताधारकों पर सर्टिफिकेट केस किये गये हैं. इन खातों से 387.70 करोड़ रुपये की राशि ही वसूली जा सकेगी. वहीं राज्य में कुल एनपीए 3680.71 करोड़ रुपये हैं. एक तिहाई खाताधारकों से मात्र 10 प्रतिशत राशि ही वसूली जा सकेगी.
बैंकों मात्र 1896 खातों पर ही डीआरटी में केस चल रहा है. इससे वसूली मात्र 633.61 करोड़ रुपये की होगी, जबकि कुल बकाया राशि 3680.71 करोड़ रुपये है. बैंकर्स के अनुसार प्रशासन से पूरा सहयोग नहीं मिल पाने के कारण ही इसमें देरी हो रही है. ये मामले भी ऐसे हैं, जिनमें बैंकों के पास प्रोपर्टी बंधक है और पैसे की वसूली पक्की है.
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