27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

विधानसभा: दो पूर्व स्पीकरों के कार्यकाल में नियुक्ति में गड़बड़ी के थे आरोप, राज्यपाल भी नहीं करा सके जांच

रांची: विधानसभा में ही कायदा-कानून नहीं चला. पिछले 15 वर्षो में विधानसभा में छह सौ से ज्यादा नियुक्ति हुई. नियुक्ति और प्रोन्नति में खेल हुआ. पैसे लेने तक के आरोप लगे. पूर्व स्पीकर इंदर सिंह नामधारी और आलमगीर आलम के समय हुई नियुक्ति पर गंभीर आरोप लगे. विधानसभा द्वारा की गयी नियुक्ति की शिकायत राज्यपाल […]

रांची: विधानसभा में ही कायदा-कानून नहीं चला. पिछले 15 वर्षो में विधानसभा में छह सौ से ज्यादा नियुक्ति हुई. नियुक्ति और प्रोन्नति में खेल हुआ. पैसे लेने तक के आरोप लगे. पूर्व स्पीकर इंदर सिंह नामधारी और आलमगीर आलम के समय हुई नियुक्ति पर गंभीर आरोप लगे. विधानसभा द्वारा की गयी नियुक्ति की शिकायत राज्यपाल तक पहुंची.

राज्यपाल ने विधानसभा से जवाब मांगा. स्पीकर सीपी सिंह के समय राज्यपाल का पत्र आया था. तत्कालीन स्पीकर सीपी सिंह ने कहा कि राज्यपाल चाहें, तो खुद ही इसकी जांच करा लें. इसके बाद राज्यपाल ने जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन का आदेश दिया. सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति लोकनाथ प्रसाद की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया गया.आयोग को अनियमितता की जांच के लिए 30 बिंदुओं की निर्धारित शर्त (टर्म ऑफ रिफ्रेंस) दी गयी. तीन महीने में जांच प्रतिवेदन समर्पित करने को कहा गया. लेकिन बाद में आयोग को विधानसभा से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला. इसके बाद लोकनाथ प्रसाद ने भी आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. पूरी जांच अटक गयी. स्पीकर आलमगीर आलम के समय हुई सहायक की नियुक्ति में अनियमितता और पैसे के लेन-देन का मामला सामने आया. तत्कालीन भाजपा विधायक सरयू राय ने यह सीडी विधानसभा को उपलब्ध करायी. इसमें विधानसभा के पूर्व सचिव सीताराम साहनी, प्रशाखा पदाधिकारी मो शमीम और लिपिक बासुकीनाथ पाठक को पैसे की बात करते दिखाया गया.

सरयू राय की सीडी की जांच के लिए विधानसभा की विशेष कमेटी राधाकृष्ण किशोर की अध्यक्षता में बनायी गयी. कमेटी में चार विधायकों को सदस्य बनाया गया था. कमेटी के संयोजक राधाकृष्ण किशोर ने रिपोर्ट दी कि पूरे मामले की ऐसे एजेंसी से करायी जाये, जो गहराई से संपूर्ण जांच कर मामले को उजागर करे. तत्कालीन स्पीकर आलमगीर आलम ने लिख दिया कि अगले विधानसभा गठन के बाद अध्यक्ष विधानसभा की गरिमा और स्वायत्त स्वरूप को देखते उचित निर्णय लेंगे. इस तरह आलमगीर आलम ने अपना पल्ला झाड़ लिया.
सेवानिवृत्त न्यायाधीश विक्रमादित्य को आयोग का अध्यक्ष बनाने की तैयारी
विधानसभा में हुई अवैध नियुक्ति -प्रोन्नित की जांच का जिम्मा सेवानिवृत्त न्यायाधीश विक्रमादित्य प्रसाद को देने की तैयारी चल रही है. इससे संबंधित संचिका सरकार स्तर पर बढ़ी है. सूचना के मुताबिक फिलहाल संचिका वित्त विभाग के पास है. सरकार आयोग को ज्यादा से ज्यादा अधिकार देना चाहती है. पिछले जांच आयोग को विधानसभा की ओर से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला था. जांच के क्रम में आयोग को परेशानी न हो, ऐसी व्यवस्था सरकार स्तर पर सुनिश्चित की जा रही है.
कमेटी में कौन-कौन थे : राधाकृष्ण किशोर (संयोजक), चितरंजन यादव, रवींद्र नाथ महतो, रामचंद्र सिंह, सुखदेव भगत (सभी तत्कालीन विधायक और सदस्य)
विशेष कमेटी की 18 बैठकें, आठ बार मिला अवधि विस्तार
सीडी की जांच के लिए विशेष कमेटी ने 18 बैठक की. विशेष कमेटी ने सीडी में जिन-जिन को दिखाया गया था, उसे बुलाया. कमेटी ने अपनी 18 बैठकों में सात लोगों को गवाही के लिए बुलाया. इसमें पूर्व सचिव सीता राम साहनी, प्रशाखा पदाधिकारी मो शमीम, लिपिक बासुकीनाथ पाठक, अनुसेवक कमलेश कुमार सिंह, आशुतोष तिवारी, मिथिलेश कुमार मिश्र और निलेश रंजन नाम के कर्मी को बुलाया गया. इनकी तसवीर सीडी में थी. इनकी गवाही को रिकॉर्ड किया गया. विशेष कमेटी की आठ बार समय सीमा बढ़ायी गयी. 30.08.08 को कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें