झारखंड में पावर व स्टील प्लांट के लिए 7600 करोड़ निवेश कर चुका अभिजीत ग्रुप इन दिनों वित्तीय संकट में है. यहां के कामगारों को पिछले पांच माह से वेतन बंद है. लगभग 10 हजार लोगों के रोजगार पर असर पड़ने की आशंका है. अभिजीत ग्रुप का चंदवा में पावर प्लांट और सरायकेला- खरसावां में स्टील प्लांट लगाने का काम चल रहा है. माइनिंग लीज व फॉरेस्ट क्लियरेंस नहीं मिलने से निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है. हालांकि कंपनी का मानना है कि इस माह के अंत तक सब कुछ ठीक हो जायेगा. अगर इस पावर प्लांट से उत्पादन शुरू हो जाये, तो बिजली का संकट ङोल रहे झारखंड को राहत मिल सकती है.
रांची: झारखंड में अभिजीत ग्रुप के स्टील प्लांटऔर पावर प्लांट में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार लोग काम कर रहे हैं. कोलगेट स्कैम में अभिजीत ग्रुप के मनोज जायसवाल का नाम आने के बाद झारखंड में इस ग्रुप के पावर और स्टील प्लांटों पर संकट छा गया है. कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के साथ संबंधों को लेकर भी यह ग्रुप चर्चा में रहा. सितंबर 2012 में अभिजीत ग्रुप के विभिन्न ठिकानों पर सीबीआइ का छापा भी पड़ा. इसके बाद से ही कंपनी में वित्तीय संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी. बड़े वित्तीय संस्थानों और बैंकों ने अब कंपनी को ऋण देने से इनकार कर दिया है. सितंबर माह में ही एक बैंक द्वारा तीन हजार करोड़ रुपये का स्वीकृत लोन रोक दिया गया. इसके बाद से कंपनी के कामगारों के वेतन पर भी असर पड़ गया है. जनवरी के बाद से कर्मचारियों का वेतन भुगतान बंद है.
कंपनी छोड़ रहे हैं अधिकारी : कंपनी के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि अभिजीत ग्रुप झारखंड के सीइओ अरुण गुप्ता कंपनी छोड़ चुके हैं. फिलहाल झारखंड प्रोजेक्ट का काम कंपनी के एमडी अभिषेक जायसवाल खुद देख रहे हैं. मैनेजर स्तर के कई अन्य अधिकारी भी या तो नौकरी छोड़ रहे हैं या दूसरी कंपनियों में नौकरी के लिए आवेदन दे चुके हैं. निचले स्तर पर भी कई कर्मचारी काम छोड़ चुके हैं.
हालांकि कंपनी में कार्यरत विभागीय प्रमुख स्तर के एक अधिकारी ने कहा कि कई लोग भावनात्मक रूप से कंपनी से जुड़े हुए हैं. उन्हें एक बड़ी पावर कंपनी से जॉब का ऑफर मिला था, पर संकट के समय में इनलोगों ने कंपनी छोड़ना उचित नहीं समझा. मैनेजमेंट ने आश्वासन दिया है कि मई के अंत तक स्थिति सुधर जायेगी.
सरकार पहल करे, तो हो सकता है उत्पादन
पावर प्लांट के लिए कंपनी को फॉरेस्ट व इनवायरमेंटल क्लीयरेंस मिल चुका है. चितरपुर कोल ब्लॉक के लिए माइनिंग लीज की फाइल छह महीने तक राज्य के एक मंत्री ने ही दबा कर रखी. अब तक माइनिंग लीज नहीं मिल सकी है.
कंपनी द्वारा चंदवा से नामकुम ग्रिड तक ट्रांसमिशन लाइन बनायी जा रही है. 25 किमी क्षेत्र में फॉरेस्ट क्लीयरेंस न मिलने की वजह से निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है. निर्माण कार्य का जिम्मा लैंकों कंपनी को दिया गया है. बताया गया कि वन क्षेत्र में ठेकेदारों के समक्ष विधि-व्यवस्था की समस्या भी उत्पन्न हो रही है. सरकार से मोबाइल सिक्युरिटी मांगी गयी है. कंपनी के अधिकारी बताते हैं कि वित्तीय संकट की स्थिति में सरकार कम से कम लंबित मामलों का निष्पादन कर दे, तो उत्पादन आरंभ हो जायेगा.
योजना टालनी पड़ी
अभिजीत ग्रुप माइनिंग, पावर, स्टील, फेरो एंड एलॉय, इंफ्रास्ट्रर पर काम करता है. कंपनी ने पूर्व में बाजार से पैसा लेने की योजना बनायी थी. पर कोलगेट का मामला उछलने के बाद कंपनी ने इस योजना को फिलहाल टाल दिया है.