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नहीं हो रही फल-सब्जियों की जांच

लोकल कंपनी के खाद्य पदार्थो पर फूड इंस्पेक्टर का ध्यान नहीं रांची : आम लोगों को शुद्ध व सुरक्षित खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने के लिए राज्य में खाद्य संरक्षा अधिनियम-2011 लागू है, पर इसका अपेक्षित लाभ आम लोगों को नहीं मिल रहा है. इस अधिनियम के लागू होने तथा राज्य खाद्य जांच प्रयोगशाला के सितंबर-2012 […]

लोकल कंपनी के खाद्य पदार्थो पर फूड इंस्पेक्टर का ध्यान नहीं
रांची : आम लोगों को शुद्ध व सुरक्षित खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने के लिए राज्य में खाद्य संरक्षा अधिनियम-2011 लागू है, पर इसका अपेक्षित लाभ आम लोगों को नहीं मिल रहा है.
इस अधिनियम के लागू होने तथा राज्य खाद्य जांच प्रयोगशाला के सितंबर-2012 में शुरू होने के बाद से मार्च-2015 तक लैब में कुल 2712 खाद्य सैंपल की जांच हुई. पर इनमें सब्जी या फल का कोई सैंपल नहीं था.
लोकल कंपनी के बने ब्रेड, पाव, क्रीम रोल तथा अन्य खाद्य पदार्थो पर भी खाद्य निरीक्षकों (फूड इंस्पेक्टर) का ध्यान नहीं है, जबकि इनका सीधा संबंध रोजमर्रा की जिंदगी से है. बाजार में थैले में बिकने वाले लोकल कंपनी के आटे उपलब्ध हैं, जिन पर उत्पादन तथा बेस्ट बिफोर यूज की तिथि तक नहीं होती. इन चीजों की जांच के बजाय ब्रांडेड खाद्य पदार्थो के सैंपल ज्यादा इकट्ठा किये जाते हैं.
फलों-सब्जियों में हानिकारक रसायन का इस्तेमाल
खाद्य निरीक्षकों के अनुसार, फलों को समय से पहले पकाने तथा सब्जियों का आकार व वजन बढ़ाने के लिए रसायनों का इस्तेमाल हो रहा है. ये रसायन स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक हैं.
आम, केला व अन्य फलों को पकाने के लिए कैल्सियम कारबाइड का इस्तेमाल होता है. फलों के खुदरा व्यापारी भी अपने घरों में इनका इस्तेमाल कर रहे हैं. फलों व सब्जियों को तरोताजा रखने, चमकाने व इन्हें ज्यादा दिन तक टिकाये रखने के लिए मोम व कृत्रिम रंगों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.
कारबाइड का इस्तेमाल गैर कानूनी
खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम-06 के तहत कारबाइड का इस्तेमाल गैर कानूनी है. कोई भी व्यक्ति फल पकाने के लिए इसकी बिक्री, बिक्री की अनुशंसा या इसके लिए किसी को प्रोत्साहित नहीं कर सकता. एक खास सीमा से अधिक कारबाइड का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है.
हरी सब्जियों को हरा, ताजा व आकर्षक दिखाने के लिए कृत्रिम हरे रंग का प्रयोग भी प्रतिबंधित है. फलों-सब्जियों पर रंग व मोम (मधुमक्खी के छत्ते से निकले सफेद व पीले मोम को छोड़) का इस्तेमाल भी प्रतिबंधित है.
यह सही है कि फलों व सब्जियों के सैंपल अपवाद स्वरूप ही लाये गये होंगे. कानून में इसका प्रावधान भी है. खाद्य निरीक्षकों को चाहिए कि वे ब्रांडेड चीजों के बजाय संदेहास्पद गुणवत्ता के खाद्य तथा फल-सब्जियों के सैंपल इकट्ठा करें.
जेके सिंह, लोक खाद्य विेषक
सभी खाद्य निरीक्षकों तथा सीएचसी के प्रभारी चिकित्सकों को हर तरह के सैंपल लेने का निर्देश दिया गया है. सैंपल उठाया भी जा रहा है, पर फल-सब्जियों के सैंपल के बारे में जानकारी लेनी होगी. कोशिश होगी कि यह काम भी हो.
डॉ प्रवीण चंद्र, निदेशक खाद्य

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