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विस्फोटक जब्ती के बाद गहराई से जांच नहीं होती

जब्त करती है, पर कहां से आया, पता नहीं करती पुलिस विस्फोटक सप्लाई करने में कोडरमा के एक नेता का नाम आ चुका है सामने रांची : झारखंड पुलिस जितनी तत्परता से विस्फोटक जब्त करने की कार्रवाई करती है, उतनी ही तत्परता से यह पता नहीं करती कि आखिर विस्फोटक आया कहां से? उसका मुख्य […]

जब्त करती है, पर कहां से आया, पता नहीं करती पुलिस
विस्फोटक सप्लाई करने में कोडरमा के एक नेता का नाम आ चुका है सामने
रांची : झारखंड पुलिस जितनी तत्परता से विस्फोटक जब्त करने की कार्रवाई करती है, उतनी ही तत्परता से यह पता नहीं करती कि आखिर विस्फोटक आया कहां से? उसका मुख्य सप्लायर कौन है? किस फैक्टरी से आया? फैक्टरी से किस सप्लायर के नाम पर विस्फोटक बाहर निकाला?
कौन-कौन लोग इस अवैध धंधे में शामिल हैं? इन सवालों का जवाब पुलिस नहीं ढ़ंढती. सिर्फ जिसके पास या घर से विस्फोटक बरामद होता है, उसके खिलाफ अदालत में चाजर्शीट दाखिल कर काम खत्म मान लेती है. यही कारण है कि विस्फोटक का अवैध बाजार खत्म नहीं हो रहा है. पत्थर तोड़ने के लिए विस्फोटकों के इन्हीं कारोबारियों से कई बार नक्सली भी विस्फोटक हासिल करते हैं.
टाटीसिलवे थाना की पुलिस ने 25 अप्रैल 2014 को प्लास्टिक के 13 बोरे में 650 किलो ग्राम जिलेटिन (विस्फोटक) बरामद किया था. बरामद सभी विस्फोटक पर आंध्र पदेश स्थिति कंपनी द्वारा निर्मित मार्का अंकित था. विस्फोटक के साथ गिरफ्तार रूस्तम अंसारी, तौफीक अंसारी और एक महिला को जेल भेज दिया. तब गिरफ्तार दोनों युवकों ने पुलिस को बताया था कि वे जिलेटिन कोडरमा से लेकर पहुंचे थे.
दोनों ने यह भी बताया कि उन्हें पुदांग निवासी अनवर नामक किसी व्यक्ति को विस्फोटक देना था. दोनों ने कोडरमा के नेता का नाम भी पुलिस को बताया था. इसके साथ दोनों ने पूर्व में भी कोडरमा से विस्फोटक रांची लाकर सप्लाई करने की जानकारी पुलिस को दी थी.
अनुसंधान के दौरान तत्कालीन हटिया डीएसपी निशा मुमरू ने संबंधित नेता पर अवैध विस्फोटक सप्लाई करने के आरोप की जांच कर कार्रवाई का निर्देश टाटीसिलवे पुलिस को दिया था. लेकिन पुलिस ने संबंधित नेता के खिलाफ गहराई से जानकारी एकत्र नहीं की. तत्कालीन ग्रामीण एसपी सुरेंद्र झा ने इस बात पर आशंका जतायी थी कि विस्फोटक नक्सलियों को सप्लाई किया जाता है. लेकिन इस बिंदु पर भी पुलिस ने जांच नहीं की.
नामकुम पुलिस ने ओड़िशा से रांची आ रही यात्री बस में छापेमारी कर 18 जनवरी, 2015 को 10 हजार पीस डेटोनेटर बरामद किया था. पुलिस ने बस में अवैध रूप से विस्फोट लाने के आरोप में बस में सवार यात्री शेखपुरा निवासी रवि शंकर पांडेय उर्फ डमरू पांडेय को गिरफ्तार किया.
उसकी निशानदेही पर पुलिस ने तुपुदाना ओपी क्षेत्र के डुंडीगढ़ा निवासी व्यवसायी सनोवर उर्फ सोनू खान के घर में छापेमारी की. जहां से पुलिस ने पांच किलो अमनोनियम नाइट्रेट, तीन गुच्छा कोडेक्स वायर और करीब डेढ़ किलो काला बारूद बरामद किया है.
लेकिन छापेमारी के दौरान सनोवर खान फरार मिला. तब पुलिस अधिकारियों ने बताया था कि डेटोनेटर हैदराबाद निर्मित है. पुलिस अधिकारियों को पूछताछ के दौरान ओड़िशा के विस्फोटक कारोबारी रघुनंदन साहू के बारे जानकारी मिली थी.
जिसके संबंध में डमरू पांडेय ने पुलिस को बताया था कि उसने सनोवर खान तक विस्फोटक पहुंचाने के लिए उसे सौंपा था. विस्फोटक बरामदगी के मामले में तब पुलिस अधिकारियों ने बताया था कि यह संभव है कि रवि शंकर पांडेय नक्सलियों और उग्रवादियों तक विस्फोटक पहुंचाता हो. लेकिन इस बिंदु पर पुलिस की जांच शुरू नहीं हुई. पुलिस ने जांच के दौरान यह भी पता नहीं लगाया कि विस्फोटक रवि शंकर पांडेय तक कैसे पहुंचा.
केस -3 : छोड़ा दिया था एक ट्रक विस्फोटक वर्ष 2012 में कोडरमा पुलिस ने विस्फोटक लदा एक ट्रक पकड़ा था. इस मामले में जांच के लिए तत्कालीन एसपी ने वहां के डीएसपी को निर्देश दिया था.
डीएसपी ने जांच के बाद ट्रक को छोड़ दिया. बाद में दो तरह की बातें सामने आयी एक यह कि डीएसपी ने पैसे लेकर ट्रक छोड़ दिया, दूसरी यह कि ट्रक को एसपी के निर्देश पर छोड़ा गया. मामले में हजारीबाग के तत्कालीन डीआइजी सुमन गुप्ता ने एक रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को भेजी थी. जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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