नयी दिल्ली. ट्रेनों के चलने के बारे में गलत सूचना देना अब रेलवे के अधिकारियों को महंगा पड़ सकता है. गाड़ी अगर तीन घंटा लेट होती है, तो यात्रियों को जो रिफंड दिया जाता है, रेलवे उसे दोषी अधिकारी के वेतन से काटेगा. ट्रेन की स्थिति सही दिखाने के मकसद से इसके चलने की स्थिति के बारे में ‘गलत रिपोर्टिंग’ की समस्या को रेल मंत्रालय समाप्त करना चाहता है. सूत्रों ने पुष्टि की कि यह रेल मंत्रालय का यह कदम एक जून से प्रभावी होगा. इस सप्ताह इस संबंध में एक आदेश जारी किया गया है. एक खबर के मुताबिक, ट्रैफिक कंट्रोल ऑफिस को डेटा के साथ छेड़छाड़ करते हुए पाया गया है. ट्रैफिक कंट्रोल ऑफिस ट्रेनों के चलने की सूचना को लॉग करते हैं और नेशनल ट्रेन इन्क्वायरी सिस्टम (एनटीइएस) को अपडेट करते हैं. अब मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि अगर किसी यात्री को एनटीइएस के समय के गलत होने पर पैसा रिफंड करना पड़ता है और जांच में यह पाया जाये कि डेटा गलत था, तो पैसा सीधे दोषी अधिकारियों की सैलरी से काटा जायेगा.क्या है नया नियमनियम के अनुसार, अगर कोई ट्रेन किसी स्टेशन पर तीन से अधिक घंटे बाद पहुंचती है या इसके प्रस्थान में तीन घंटे से ज्यादा देर होता है, तो यात्री टिकट के पैसे वापस करने का दावा कर सकते हैं. नीति-निर्माताओं ने निर्णय लिया है कि ट्रेन समय पर चल रही है यह दिखाने के लिए सिर्फ गलत डेटा देने से ही रेलवे यात्रियों को पैसा वापस करने की जिम्मेदारी से नहीं बच सकता है.
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ट्रेन के बारे में दी गलत जानकारी तो भरना पड़ेगा जुर्माना
नयी दिल्ली. ट्रेनों के चलने के बारे में गलत सूचना देना अब रेलवे के अधिकारियों को महंगा पड़ सकता है. गाड़ी अगर तीन घंटा लेट होती है, तो यात्रियों को जो रिफंड दिया जाता है, रेलवे उसे दोषी अधिकारी के वेतन से काटेगा. ट्रेन की स्थिति सही दिखाने के मकसद से इसके चलने की स्थिति […]
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