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सरकारी भूमि के हस्तांतरण, लीज बंदोबस्ती की सलामी राशि तय बाजार दर के बराबर वसूली जायेगी राशि

रांची: सरकारी भूमि के हस्तांतरण और लीज बंदोबस्ती मामले पर भूमि की दर और सलामी राशि तय कर दी गयी है. गैर मजरूआ भूमि के व्यावसायिक अथवा आवासीय उपयोग के लिए बाजार दर के बराबर सलामी की राशि ली जायेगी. भूमि के व्यावसायिक उपयोग पर पांच प्रतिशत वार्षिक लीज रेंट और आवासीय उपयोग के लिए […]

रांची: सरकारी भूमि के हस्तांतरण और लीज बंदोबस्ती मामले पर भूमि की दर और सलामी राशि तय कर दी गयी है. गैर मजरूआ भूमि के व्यावसायिक अथवा आवासीय उपयोग के लिए बाजार दर के बराबर सलामी की राशि ली जायेगी. भूमि के व्यावसायिक उपयोग पर पांच प्रतिशत वार्षिक लीज रेंट और आवासीय उपयोग के लिए दो प्रतिशत वार्षिक लीज रेंट दर वसूली जायेगी. लीज रेंट पर सरकार की ओर से सेस भी लिया जायेगा.
जिन मामलों में गैर मजरूआ भूमि की स्थायी बंदोबस्ती की जानी है, उन मामलों में भूमि के सलामी और लीज रेंट की 25 गुना अधिक राशि सरकारी खाते में जमा करायी जायेगी. स्थायी बंदोबस्ती तथा लीज बंदोबस्ती पर वार्षिक लीज रेंट का 145 प्रतिशत अतिरिक्त सेस राशि वसूलने का निर्णय लिया है. स्थायी बंदोबस्ती अथवा लीज बंदोबस्ती भूमिहीनों, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, सैनिक, निबंधित चैरिटेबल सोसाइटी के मामले में लागू नहीं होगी.
लीजधारक को लीज समाप्ति की अवधि के एक वर्ष पूर्व ही नवीकरण का आवेदन उपायुक्त कार्यालय में देना जरूरी किया गया है. निर्धारित समय पर आवेदन नहीं दिये जाने पर यह मान लिया जायेगा कि संबंधित व्यक्ति लीज के नवीकरण के लिए इच्छुक नहीं हैं. ऐसी स्थिति में लीजधारक को मौका देते हुए उपायुक्त भूमि वापस लेने की कार्रवाई भी कर सकते हैं. लीज अवधि के दौरान शर्तो का उल्लंघन करने पर उपायुक्त स्वयं लीज रद्द करने का फैसला ले सकते हैं.
सलामी की राशि तय करने का मानदंड भी तय
सरकार ने बिक्री योग्य और गैर बिक्री योग्य जमीन के लिए बाजार मूल्य अथवा सर्किल रेट के हिसाब से सलामी की राशि तय करेगी. भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 के तहत यह कार्य किये जायेंगे. निकटवर्ती गांव अथवा पड़ोसी क्षेत्र के औसत बिक्री मूल्य के तीन वर्षो के आंकड़े का औसत निकाल कर सरकारी भूमि का मूल्य का निर्धारण किया जायेगा.
गैर बिक्री योग्य भूमि (अविक्रयशील जमीन) में अवस्थित सरकारी भूमि का दर निकटवर्ती पड़ोसी क्षेत्रों में स्थित विक्रयशील इलाकों के निकाली गयी भूमि के दर के समान सलामी की राशि होगी. गैर मजरूआ भूमि के वार्षिक लीज रेंट की गणना 7.5 प्रतिशत प्रति वर्ष की बढ़ोतरी पर किये जाने का प्रावधान है. राज्य सरकार के विभाग, बोर्ड, निगम, प्राधिकार जिन्हें शुल्क के साथ भूमि की बंदोबस्ती की जानी है, वे छह माह में पूरी राशि सरकारी कोष में जमा करेंगे.
सरकार की अनुमति के बगैर जमीन हस्तांतरण अवैध होगा
लीज अवधि के दौरान राज्य सरकार की अनुमति के बगैर भूमि का हस्तांतरण किसी व्यक्ति, संस्था अथवा कंपनी को किये जाने से पूरे मामले को अवैध समझा जायेगा. सरकार हस्तांतरित भूमि को ट्रेसपासर समझ कर सरकारी भूमि को खाली करवाने की कार्रवाई भी करेगी. सरकार ट्रेसपासर के आवेदन प्राप्त होने पर उसके साथ नयी बंदोबस्ती भी कर सकती है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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