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स्थानीय नीति पर परिचर्चा का आयोजन, खतियान के आधार पर ही बने स्थानीय नीति

रांची: स्थानीय नीति को राज्य में लागू करने को लेकर ग्रॉड ऑकेजन कोकर में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया. संयुक्त सदान संघर्ष मोरचा के केंद्रीय अध्यक्ष सह स्थानीय नीति संघर्ष मोरचा के संयोजक राजेंद्र प्रसाद ने अध्यक्षता की. बैठक में शिक्षाविदों, सामाजिक संगठनों एवं छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस दौरान श्री […]

रांची: स्थानीय नीति को राज्य में लागू करने को लेकर ग्रॉड ऑकेजन कोकर में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया. संयुक्त सदान संघर्ष मोरचा के केंद्रीय अध्यक्ष सह स्थानीय नीति संघर्ष मोरचा के संयोजक राजेंद्र प्रसाद ने अध्यक्षता की. बैठक में शिक्षाविदों, सामाजिक संगठनों एवं छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

इस दौरान श्री प्रसाद ने कहा कि राज्य में चाहे किसी की सरकार क्यों न हो, आदिवासी व मूलवासी के बिना समर्थन के नहीं चल सकती है. राजनीतिक दलों को भी यह गलतफहमी है कि मूलवासी-सदान आदिवासी संगठित नहीं हैं. उन्होंने कहा कि स्थानीय नीति, अंतिम सर्वे या खतियान के आधार पर ही बने. रतन तिर्की ने कहा कि तृतीय वर्ग में उत्तर प्रदेश में भी बहार के लोगों को नौकरी नहीं देने का प्रावधान है, तो झारखंड में यह नियम क्यों नहीं हो सकता है.

डॉ आरपी साहू ने कहा कि स्थानीय नीति को लेकर सड़क पर उतर कर आंदोलन करने की जरूरत है. आदिवासी छात्र संघ के प्रभाकर कुजूर ने कहा कि स्थानीय नीति के नहीं होने से अन्य राज्यों के लोगों के द्वारा झारखंड के लोगों का शोषण किया जा रहा है. डॉ प्रदीप रूंडा ने कहा कि बाहर के लोग नौकरी का लाभ उठा रहे हैं.

झारखंड छात्र संघ के एस अली ने कहा कि स्थानीय नीति नहीं होने से राज्य की नियुक्तियों में बाहर के लोग कब्जा कर ले रहे हैं. डॉ विमल कच्छप ने कहा कि झारखंडी आज भी अपनी पहचान की लड़ाई लड़ रहे हैं. कुरमी विकास मोरचा के शीतल ओहदार ने कहा कि बिना स्थानीय नीति के किसी प्रकार की नियुक्ति अभी न हो. डॉ गिरिधारी राम गौंझू ने कहा कि 14 सालों से स्थानीय नीति बनाने का काम लटका हुआ है, परंतु अब इसे तुरंत बनाया जाना चाहिए. बैठक को अब्दुल खालिक, डॉ त्रिवेणी नाथ साहू, राजू महतो, वासुदेव प्रसाद, महेंद्र ठाकुर, एम इलियास, अजरुन साहू, डॉ सुदेश कुमार, डॉ अनिल मिश्र, आनंद ठाकुर आदि ने भी संबोधित किया.

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