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जनगणना के आधार पर मिलेगा खाद्यान्न
खाद्य आपूर्ति विभाग ने जारी किया संकल्प, कुल 20 जिलों की सूची प्रकाशित एक जुलाई से मिलना है योजना का लाभ रांची : खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 का लाभ सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना (सोशियो-इकोनॉमिक कास्ट सेंशस 2011) के आंकड़ों के आधार पर मिलेगा. इससे संबंधित संकल्प खाद्य आपूर्ति विभाग ने जारी कर दिया है. अधिनियम […]
खाद्य आपूर्ति विभाग ने जारी किया संकल्प, कुल 20 जिलों की सूची प्रकाशित
एक जुलाई से मिलना है योजना का लाभ
रांची : खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 का लाभ सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना (सोशियो-इकोनॉमिक कास्ट सेंशस 2011) के आंकड़ों के आधार पर मिलेगा. इससे संबंधित संकल्प खाद्य आपूर्ति विभाग ने जारी कर दिया है.
अधिनियम के तहत योग्य परिवारों के कुल पांच सदस्यों को एक जुलाई-2015 से अनुदानित दर पर अनाज उपलब्ध कराया जाना है. लाभुकों को तीन रुपये किलो चावल, दो रुपये किलो गेहूं व एक रुपये किलो मोटा अनाज मिलेगा. योजना एक जुलाई-2015 से शुरू होनी है.
सचिव विनय कुमार चौबे द्वारा जारी विभागीय संकल्प में कहा गया है कि अधिनियम लागू करने के निर्णय के वक्त एसइसीसी पर संशय था. तब यह तय नहीं था कि विभिन्न जिलों से संबंधित डाटा कब तक प्राप्त होगा. पर, ग्रामीण विकास विभाग ने सूचित किया है कि आठ जिलों से संबंधित डाटा का अंतिम प्रकाशन हो चुका है. वहीं 12 जिलों की प्रारूप सूची प्रकाशित हो गयी है. शेष चार जिले की सूची प्रकाशित होनी है. ग्रामीण विकास विभाग ने खाद्य आपूर्ति विभाग को सूचना दी है कि मार्च तक एसइसीसी का अंतिम प्रकाशन संभव है, इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभुकों का चयन एसइसीसी के आधार पर ही होगा.
लाभुकों को योजना में शामिल होने के लिए अपना स्व अभिप्रमाणित (सेल्फ अटेस्टेड) आवेदन बीडीओ, एसडीओ या जिला स्तरीय पदाधिकारियों के माध्यम से देना होगा. वहीं अंत्योदय योजना के लाभुकों (गरीबों में गरीब या निर्धन परिवार) के अंतिम चयन के लिए दिशा निर्देश बाद में निर्धारित होना है. संकल्प में कहा गया है कि अभी बीपीएल सर्वेक्षण 1997-2002 व 2002-2007 तथा पुन: सर्वेक्षण 2010 के आधार पर विभिन्न योजनाओं के तहत खाद्यान्न वितरण हो रहा है. अभी की सूची में कई फर्जी लाभुकों के शामिल होने तथा योग्य उम्मीदवार को लाभ न मिलने की शिकायतें मिलती रहती है.
इधर, एसइसीसी का डाटा दावा व आपत्ति प्राप्त कर तैयार किया गया है, इसलिए इसके आधार पर लाभुकों का चयन किया जाना प्रासंगिक लगता है. एसइसीसी का डाटा थर्ड पार्टी (भारत सरकार) ने तैयार किया है. ऐसे में डाटा के किसी पूर्वाग्रह से ग्रसित होने की संभावना नहीं है, इसलिए एसइसीसी के आंकड़े को मानक बनाया गया है. संकल्प में जिक्र है कि यदि लाभुकों की संख्या बढ़ाने-घटाने की जरूरत हुई, तो योजना में किसी परिवार को शामिल करने या फिर इससे अलग करने के मानकों को विस्तारित या संकुचित किया जा सकेगा.
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