पितृदोष जातक के भविष्य के लिए बाधकप्रभात खबर कार्यालय में मंगलवार को ऑनलाइन ज्योतिष काउंसलिंग का आयोजन किया गया. ज्योतिषी अमरेंद्र नारायण ने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. उन्होंने बताया कि बहुत सारे जातकों की कुंडली में पितृदोष होता है, जो सारे अच्छे योगों को निष्फल कर देता है. कुंडली में सूर्य जब राहु के साथ रहता है, तो ग्रहण योग बनाता है. सूर्य का ग्रहण यानी आत्मा, पिता का ग्रहण हुआ. यही सूर्य-राहु की युति पितृदोष का निर्माण करती है. सूर्य या चंद्रमा अलग-अलग या दोनों एक साथ जन्म पत्रिका में हो, तो भी पितृ दोष होता है. उन्होंने बताया कि शनि की सूर्य पर दृष्टि भी पितृ दोष का निर्माण करती है. अगर कुंडली के नौवां भाव, राहु और केतु से बुरी तरह से प्रभावित हो, तो भी पितृदोष होता है. पितृदोष की दशा कुंडली के सारे अच्छे प्रयासों को निष्फल कर देती है और जातक को पीड़ा पहुंचाती है. ऐसी स्थिति में कोई भी कार्य निर्विघ्न संपन्न नहीं होता. इसके निदान के लिए जातक को पितृ गायत्री मंत्र का 1.25 लाख जाप अवश्य करा लेना चाहिए. सोमवती अमावस्या को एक जनेऊ पीपल के पेड़ को और एक जनेऊ भगवान विष्णु को अर्पित करें और पीपल के पेड़ का 108 परिक्रमा करते हुए ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जाप करना चाहिए. इसके साथ ही क्षमा याचना भी करनी चाहिए. प्रत्येक शनिवार को चावल और घी का लड्डू कौए और मछलियों को खिलाने से लाभ होता है.
ऑनलाइन ज्योतिष काउंसलिंग
पितृदोष जातक के भविष्य के लिए बाधकप्रभात खबर कार्यालय में मंगलवार को ऑनलाइन ज्योतिष काउंसलिंग का आयोजन किया गया. ज्योतिषी अमरेंद्र नारायण ने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. उन्होंने बताया कि बहुत सारे जातकों की कुंडली में पितृदोष होता है, जो सारे अच्छे योगों को निष्फल कर देता है. कुंडली में सूर्य जब राहु […]
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