रांची : राजधानी में व्यवसायियों से लेवी मांगे जाने की जानकारी के बाद भी पुलिस नक्सलियों या अपराधियों की तलाश नहीं करती है. यहां तक कि प्राथमिकी दर्ज कर केस का अनुसंधान भी नहीं करती है. बाद में भी अपराधी का सत्यापन नहीं हो पाता है.
यहां तक की जिस नंबर से रंगदारी मांगी जाती है, उस नंबर का सीडीआर तक नहीं निकालती है. डीएसपी व एसपी जानकारी के बावजूद केस में दिलचस्पी नहीं लेते हैं. नतीजन केस लंबित रह जाता है. डीआइजी शीतल उरांव ने विभिन्न थानों में दर्ज रंगदारी के मामले की जांच की, जिसके बाद ऐसे तथ्य उजागर हुए हैं.