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किन्नर लक्ष्मी की कहानी अंगरेजी में भी

एजेंसियां, नयी दिल्लीअपने समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली तेजतर्रार किन्नर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को अपने किन्नर होने पर गर्व है और वह ऐसी महिला होने का दावा करती हैं जो अन्य महिलाओं को शर्माने पर मजबूर कर दें. लक्ष्मी की आत्मकथा के नये अंगरेजी अनुवाद ‘मी हिजड़ा, मी लक्ष्मी’ का विमोचन नयी […]

एजेंसियां, नयी दिल्लीअपने समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली तेजतर्रार किन्नर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को अपने किन्नर होने पर गर्व है और वह ऐसी महिला होने का दावा करती हैं जो अन्य महिलाओं को शर्माने पर मजबूर कर दें. लक्ष्मी की आत्मकथा के नये अंगरेजी अनुवाद ‘मी हिजड़ा, मी लक्ष्मी’ का विमोचन नयी दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में किया गया. लक्ष्मी के मुताबिक उन्होंने कभी लिखने के बारे में नहीं सोचा था. उनकी पुस्तक मराठी और गुजराती में पहले ही प्रकाशित हो चुकी है.समुदाय के समर्थन, विकास के लिए खड़ीइस मौके पर लक्ष्मी ने कहा, मैं दो साल तक लगातार पसोपेश में रही और उसके बाद इसे लिखने के लिए तैयार हुई. मैं हमेशा सोचती थी कि यह किताब कभी नहीं लिखी जा सकती. लक्ष्मी पहली किन्नर हैं जो संयुक्त राष्ट्र में एशिया प्रशांत क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं और अपने समुदाय और भारत का प्रतिनिधित्व टोरंटो में विश्व एड्स सम्मेलन जैसे अनेक मंचों पर कर चुकी हैं. वह इस समुदाय के समर्थन और विकास के लिए अस्तित्व नाम का संगठन चलाती हैं.

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