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डीजल सस्ता, पर रसोई हो गयी महंगी
रांची: डीजल व पेट्रोल की कीमतों में आई कमी के बावजूद खाद्य पदार्थ की कीमतों में वृद्धि जारी है. ऐसा लगता है कि सरकार का इन पर से नियंत्रण हट गया है. राजधानी में गत चार वर्षो में खाद्य सामग्री की कीमतों में 20 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है. अगस्त 2014 से अब […]
रांची: डीजल व पेट्रोल की कीमतों में आई कमी के बावजूद खाद्य पदार्थ की कीमतों में वृद्धि जारी है. ऐसा लगता है कि सरकार का इन पर से नियंत्रण हट गया है. राजधानी में गत चार वर्षो में खाद्य सामग्री की कीमतों में 20 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है. अगस्त 2014 से अब तक डीजल की कीमतों में करीब 13.01 रुपये प्रति लीटर की कमी हुई है. यह लगभग चार वर्ष पूर्व की कीमत के स्तर पर पहुंच गयी है. डीजल की दर में की गयी कटौती का असर खाद्य सामग्री पर नहीं दिखायी देती.
खुदरा दुकानदारों का कहना है कि माल भाड़े में कमी नहीं होने की वजह से खाद्य सामग्री की कीमतें कम नहीं हो रही हैं. वैसे भी बाजार पर अब सटोरियों का कब्जा है. सटोरिये ही सभी मंडियों की कीमतें तय करते हैं. इसका असर आम लोगों पर पड़ता है. वर्ष 2011 में तय माल भाड़े में अब तक वृद्धि ही हुई है.
राशन दुकानदारों और खुदरा विक्रेताओं का कहना है कि हमलोग अभी भी न्यूनतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से कम में ही सामग्री की बिक्री करते हैं. कंपनियों द्वारा सभी वस्तुओं की कीमतें बढ़ायी गयी हैं. थोक और खुदरा मंडी में चावल, दाल, सरसों तेल, रीफाइन तेल, गेंहू, आटा के मूल्य बढ़े हैं. खुदरा दुकानदारों को हर बार थोक विक्रेता यही बताते हैं कि कीमतें घटने की जगह बढ़ रही हैं.
सभी चीजें हुई हैं महंगी : फरवरी 2011 की तुलना में सभी खाद्य सामग्री की कीमतें बढ़ी हैं. चावल, आटा, दाल, बेसन, खाद्य तेल या अन्य सामग्री की कीमतों में लगभग 20 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी है.
चार वर्षो के दौरान मध्यम आय वर्ग के लोगों के भोजन सामग्री के बजट में पांच सौ रुपये से एक हजार रुपये तक बढ़ गया है. जहां चार लोगों के एक परिवार का मासिक खर्च (सब्जी के अतिरिक्त सिर्फ राशन पर) फरवरी 2011 में 2000 रुपये था. वह बढ़ कर 25 सौ से तीन हजार रुपये तक पहुंच गया है. आम लोग भी बढ़ती कीमतों से परेशान हैं. वहीं महिलाएं किचन का बजट बढ़ने से घरेलू जरूरतों की चीजों में कटौती कर रही हैं.
गृहिणियों का कहना है कि खाने के लिए रोटी, चावल, दाल जैसी वस्तुओं से महंगाई में समझौता नहीं किया जा सकता है. चार वर्षो की तुलना करें, तो 2011 में साधारण उसना चावल जहां 22-26 रुपये किलो था. वह बढ़ कर 35 से 40 रुपये किलो हो गया है. गेहूं की कीमत भी बढ़ कर 23 से 25 रुपये किलो हो गयी है. जबकि पैक्ड आटा 255 रुपये (10 किलो) से बढ़ कर 290 रुपये तक पहुंच गया है. सरसों तेल, रीफाइन की कीमतें 25-30 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गयी हैं. 250 ग्राम के पैक में आनेवाला चायपत्ती भी 15 रुपये से अधिक महंगा हो गया है. महंगाई पर सरकार का कोई नियंत्रण पिछले चार वर्षो के दौरान नहीं रहा है.
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