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अपने सिपाहियों को तमीज भी सिखायें

एसएसपी साहब जांच करायें, पर साकेत पुरी रांची : दो सिपाही हवा में तेजी से डंडे लहराते हुए हर आने-जाने वाले को रोक रहे हैं, खास कर बाइक सवारों को. तीसरा सिपाही रुकनेवाले की आंखों में सीधे टॉर्च की रोशनी मारता है. एक सिपाही कहता है, अबे रुक. रुकने के बाद सवाल- एतना रात में […]

एसएसपी साहब जांच करायें, पर
साकेत पुरी
रांची : दो सिपाही हवा में तेजी से डंडे लहराते हुए हर आने-जाने वाले को रोक रहे हैं, खास कर बाइक सवारों को. तीसरा सिपाही रुकनेवाले की आंखों में सीधे टॉर्च की रोशनी मारता है. एक सिपाही कहता है, अबे रुक. रुकने के बाद सवाल- एतना रात में कहां से आ रहे हो और कहां जा रहे हो.
सवाल जारी रहता है. एतना रात में बाहर घूमने का क्या जरूरत पड़ जाता है जी तुम लोगों को. दूसरा सिपाही बीच में ही बोलता है. पूरा बॉडी सर्च करो. बाइक सवार को घूरते हुए सिपाही कहता है..और तुम का देख रहा है, डिक्की खोल..जरा देखें तो, क्या-क्या लेकर जा रहा है. जांच कर लेने के बाद उनमें से एक सिपाही सवाल दागता है..ई रास्ता पर पहले तो तुमको कभी नहीं देखा.
अब बाइक सवार से रहा नहीं जाता और वह भी एक सवाल पूछ लेता है..इस रास्ते से जानेवाले कितने लोगों को आप पहचानते हैं सिपाही जी. इस सवाल का उस सिपाही के पास कोई जवाब नहीं होता.
यह दृश्य इन दिनों रांची में कहीं भी पुलिस की जांच के दौरान देखा जा सकता है. इन दिनों पुलिस रात में सक्रिय दिख रही है. यह स्वागत योग्य कदम है. रात में सड़कों पर पुलिस की मौजूदगी देख कर नागरिकों में विश्वास जगता है. यह रांची में इन दिनों दिख भी रहा है. लेकिन जांच के दौरान पुलिसकर्मियों का व्यवहार अभद्र और अशोभनीय रहता है. इससे अभियान के मकसद पर सवाल उठता है.
पुलिसकर्मी जिस तरह से लोगों से बात करते हैं, इससे ऐसा लगता है कि पुलिस यह मान क र चलती है कि रात में रास्ते से गुजरनेवाला हर आदमी क्रिमिनल ही होता है. कई लोगों ने अखबार के दफ्तर में फोन कर इस बात की शिकायत भी की है. खुद अखबारवाले भी रात में निकलते हैं. सभी चाहते हैं कि पुलिस के वरीय अधिकारी अपनी टीम के लोगों के व्यवहार पर ध्यान दें और नागरिक अधिकारों का ख्याल रखें.
क्या हैं आम नागरिक के कानूनी अधिकार
कोई भी पुलिस अधिकारी किसी नागरिक से गाली गलौज, मारपीट नहीं कर सकता. अगर पुलिस अधिकारी या सिपाही हमारे साथ जांच के नाम पर मारपीट या गाली-गलौज करता है तो यह हमारे मौलिक अधिकारों का हनन है.
पुलिस कानून के दायरे में रहकर ही अपनी कार्रवाई कर सकती है. पुलिसकर्मियों द्वारा अभद्र व्यवहार किये जाने पर संबंधित थाने के न्यायालय में कंप्लेन केस कर सकते हैं. संबंधित थाने में एफआइआर भी दर्ज करा सकते हैं, या वरीय पदाधिकारियों के पास शिकायत कर सकते हैं.
गाली गलौज करने पर आइपीसी की धारा 504 व 506, पुलिस द्वारा उकसाने पर धारा 504, मारपीट करने पर धारा 323, धारदार हथियार से वार करने पर धारा 324 व 325 के तहत व हत्या की कोशिश पर धारा 307 के तहत कार्रवाई की जा सकती है. इसके अलावा मानहानि या जबरन पैसा वसूलने से संबंधित धाराओं के तहत भी शिकायत दर्ज करायी जा सकती है.
रजनीकांत पाठक, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार

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