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सोनाहातू से लौट रहे बाइक सवारों पर हमला, बुंडू में दो एसपीओ की मौत

रांची/बुंडू: बुंडू हाई स्कूल के पास मंगलवार की शाम लगभग 4.30 बजे प्रवीण भगत और जुगनू पातर की हत्या कर दी गयी, जबकि राजेंद्र कुमार महतो वहां से बच कर भाग निकलने में सफल रहा. मारे गये दोनों युवक एसपीओ (स्पेशल पुलिस फोर्स) थे. दोनों बारूहातू के रहनेवाले थे. इस घटना के बाद इलाके में […]

रांची/बुंडू: बुंडू हाई स्कूल के पास मंगलवार की शाम लगभग 4.30 बजे प्रवीण भगत और जुगनू पातर की हत्या कर दी गयी, जबकि राजेंद्र कुमार महतो वहां से बच कर भाग निकलने में सफल रहा. मारे गये दोनों युवक एसपीओ (स्पेशल पुलिस फोर्स) थे. दोनों बारूहातू के रहनेवाले थे. इस घटना के बाद इलाके में दहशत का माहौल है. हालांकि पुलिस घटना को दुर्घटना मान रही है. वहीं घटना के बाद पुलिस के प्रति लोगों में आक्रोश है. इधर, पुलिस ने दोनों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेज दिया है.
जानकारी के अनुसार प्रवीण भगत, जुगनू पातर और राजेंद्र महतो एक ही बाइक से सोनाहातू के जामुदाग गये थे. वहां से तीनों मछली खरीद कर लौट रहे थे. राजेंद्र के अनुसार बाइक प्रवीण भगत चल रहा था. तीनों जैसे ही बुंडू हाई स्कूल के समीप स्थित एक पुल के पास पहुंचे, वहां पहले से खड़े दो लोगों ने प्रवीण और जुगनू पर कुदाल से हमला कर दिया, जिससे तीनों गिर गये. उनके गिरते ही वहां मौजूद लोगों ने दोनों पर फायरिंग की. गोली लगने से प्रवीण भगत की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी, जबकि जुगनू पातर गंभीर रूप से घायल हो गया. वहां से उसे आनन-फानन में बुंडू अनुमंडल अस्पताल भेजा गया. वहां से उसे रिम्स रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में ही जुगनू की मौत हो गयी. स्थानीय लोगों ने घटनास्थल से मिली इंसास राइफल की दो गोलियां पुलिस को सौंपी. स्थानीय लोगों का कहना है कि दोनों की हत्या के पीछे नक्सलियों का हाथ है, जबकि बुंडू पुलिस इसे दुर्घटना मान रही है. घटना की सूचना मिलने पर दोनों के परिजन रिम्स पहुंचे थे. परिजन बिलख रहे थे और पुलिस को कोस रहे थे.
इससे अच्छा तो मेरा भाई नक्सली ही था
रिम्स पहुंची प्रवीण भगत की बहन अंजू बिलख रही थी और पुलिस को कोस रही थी. उसका कहना था कि उसका भाई जब नक्सली था, तभी वह ठीक था. मुख्यधारा में लौटते ही उसकी हत्या कर दी गयी. अंजू के अनुसार प्रवीण ने वर्ष 2013 में सरेंडर किया था. तब उसे सरेंडर पॉलिसी के तहत 50 हजार मिले थे, लेकिन उसके बाद उसके भाई को कोई लाभ नहीं मिला. जमानत पर बाहर निकला, तो उसे पुलिस ने एसपीओ बना दिया. अंजू ने बताया क्षेत्र में पुलिस डर से नहीं निकलती है. अंजू ने बताया कि जब घटना की खबर मिलने पर वह गाड़ी मांगने के लिए बुंडू थाना पहुंची, तब उसे थाने से भगा दिया गया. अंजू ने बताया कि जब तक उसका भाई जीवित था, तब तक पुलिस ने उसका उपयोग नक्सलियों के विरुद्ध किया. जुगनू पातर बुंडू बस स्टैंड में एजेंटी का काम करने के अलावा प्रवीण के साथ पुलिस के मुखबिरी भी करता था.
सिपाही बनने के लिए पहुंचा था पुलिस लाइन
न्यू पुलिस लाइन में कुछ माह पहले सरेंडर करनेवाले नक्सलियों के लिए सिपाही बहाली के लिए शारीरिक परीक्षा आयोजित की गयी थी. परीक्षा में सरेंडर करने वाले अन्य नक्सलियों के साथ-साथ प्रवीण भगत भी पहुंचा था. तब प्रवीण भगत ने बताया था कि सरेंडर करने से पहले भी कुछ माह तक पुलिस के लिए उसने काम किया था, लेकिन जब उसका उपयोग खत्म हो गया था. तब उससे पुलिस ने सरेंडर करवाया था.
प्रवीण भगत पुलिस के लिए एसपीओ के रूप में काम करता था, लेकिन जुगनू भगत एसपीओ नहीं था. प्रथम दृष्टया पुलिस को जो तथ्य मिले हैं, उसके अनुसार दोनों की मौत दुर्घटना में हुई है. घटनास्थल पर बाइक स्कीट करने के निशान हैं. घटना के बाद स्थानीय लोगों ने दो इनसास की गोलियां पाकर पुलिस को सौंपी है. दोनों की हत्या हुई है या नहीं, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही साफ हो पायेगा.
प्रभात कुमार, एसएसपी

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