चान्हो: मानव व्यापार का शिकार हुए दो बच्चे व छह बच्चियों को दिल्ली से रेस्क्यू कर बीजुपाड़ा स्थित किशोरी निकेतन लाया गया है़ 12 से 17 वर्ष के बीच के उम्र के ये सभी बच्चे-बच्चियां खूंटी, गुमला, सिमडेगा व राजमहल के रहने वाले हैं. अधिकतर बच्चियों की एक ही कहानी है कि वे गरीबी के कारण मानव तस्करों के झांसे मे आकर दिल्ली चली गयी थी.
वहां उन्हें घरों में दाई के काम में लगा दिया गया, जहां उन्हें न तो खाना सही से मिलता था और न ही पैस़े सिमडेगा की 14 वर्षीया पूनम (बदला नाम) ने बताया कि उसका मालिक तो उसके साथ मारपीट भी करता था और बाहर जाने पर गेट में ताला बंद कर देता था़ एक दिन घर के सभी सदस्यों के बाहर रहने पर वह वहां से भाग कर नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंच गयी, जहां से पुलिस ने उसे शेल्टर होम पहुंचा दिया. इसी तरह अन्य बच्चे व बच्चियां भी अलग-अलग जगहों से रेस्क्यू की गयी थी़ इन्हें बाल संरक्षण समिति नयी दिल्ली ने समाज कल्याण विभाग झारखंड सरकार को सौंप दिया़.
समाज कल्याण विभाग के सहयोग से भारतीय किसान संघ के लोग दिल्ली से बच्चे-बच्चियों को लेकर गुरुवार को किशोरी निकेतन पहुंच़े भारतीय किसान संघ के निदेशक सह झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य संजय कुमार मिश्र के मुताबिक काउंसिलिंग के बाद जो बच्चियां पढ़ना चाहेंगी, उनका उनके संबंधित जिलों में स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में नामांकन कराया जायेगा व अन्य को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण दिया जायेगा.