लंदन. माताएं बातचीत के दौरान बेटे के बजाय बेटी से ज्यादा भावनात्मक रूप से घुली-मिली होती हैं और इस प्रक्रि या में लड़कों की अपेक्षा लड़कियां भावनात्मक रूप से ज्यादा बुद्धिमान होकर निखरती हैं. यह खुलासा एक नये शोध में किया गया है. शोध में कहा गया कि माताएं, पिता की तुलना में अधिक भावनात्मक शब्दों का इस्तेमाल करती हैं, और इस तरह वह अनजाने में अपने बच्चों में लैंगिक रूढि़यों को मजबूत कर रही होती हैं.ब्रिटेन की सरे विश्वविद्यालय की हेरिएट तेनेनबॉम ने बताया कि हमारे शोध में सामने आया कि माता-पिता और बच्चे की बातचीत लिंगभेदी होती है. साथ ही शोध में पता चला कि मां अपने लड़कों की तुलना में लड़की से ज्यादा खुल कर बात करती है. इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने स्पेन के 65 अभिभावकों और उनके चार और छह साल के बच्चों को कहानी कहते हुए कार्य करने और अतीत के अनुभवों पर बातचीत करने के लिए कहा था.इसमें शोधकर्ताओं ने उनकी भाषा और भावनात्मक शब्दों के इस्तेमाल की जांच की. शोध में पाया गया कि लड़कियों ने लड़कों की तुलना में खुशी, दुख और चिंता जैसे अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों के साथ भावनात्मक साक्षरता का उच्चस्तर प्रदर्शित किया. यह शोध विकासात्मक मनोविज्ञान के ब्रिटिश जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
मां ही बनाती हैं बेटियों को ज्यादा समझदार
लंदन. माताएं बातचीत के दौरान बेटे के बजाय बेटी से ज्यादा भावनात्मक रूप से घुली-मिली होती हैं और इस प्रक्रि या में लड़कों की अपेक्षा लड़कियां भावनात्मक रूप से ज्यादा बुद्धिमान होकर निखरती हैं. यह खुलासा एक नये शोध में किया गया है. शोध में कहा गया कि माताएं, पिता की तुलना में अधिक भावनात्मक […]
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