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रीढ़ की हड्डी की बीमारी से बचने के लिए वजन पर रखें नियंत्रण रांची . ऑनलाइन काउंसलिंग के तहत रविवार को प्रभात खबर कार्यालय में हेल्थ काउंसलिंग के दौरान अपोलो अस्पताल के मुख्य फिजियोथेरेपिस्ट डॉ अजीत कुमार ने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. उन्होंने बताया कि स्पाइनल केनाल स्टेनोसिस रीढ़ की हड्डी से जुड़ी […]

रीढ़ की हड्डी की बीमारी से बचने के लिए वजन पर रखें नियंत्रण रांची . ऑनलाइन काउंसलिंग के तहत रविवार को प्रभात खबर कार्यालय में हेल्थ काउंसलिंग के दौरान अपोलो अस्पताल के मुख्य फिजियोथेरेपिस्ट डॉ अजीत कुमार ने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. उन्होंने बताया कि स्पाइनल केनाल स्टेनोसिस रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारी है. इस तकलीफ में स्पाइनल केनाल के स्थान के घटने के कारण इसका मार्ग अवरुद्ध हो जाता है और उससे होकर गुजरने वाले स्पाइनल कॉर्ड या नसों पर दबाव पड़ता है. यह तकलीफ तीन स्थानों गर्दन, पीठ तथा कमर में होती है. इस तकलीफ से पीडि़त व्यक्ति को लकवा मारने की संभावना होती है. साथ ही सियाटिक (साइटिका) होने की संभावना होती है. यह तकलीफ व्यक्ति के उम्र तथा शरीर का वजन बढ़ने के कारण होती है. स्लिप डिस्क की समस्या, आस्टियोपोरोसिस या ऑर्थराइटिस रीढ़ की हड्डी में किसी प्रकार की विकृति या फ्रैक्चर आदि के कारण होती है. इसे कई लक्षण से पहचाना जा सकता है, जैसे गरदन या कमर में हमेशा दर्द रहना, हाथ-पैर में भारीपन व झनझनाहट, चलने पर पैर का भारी लगना, पीछे झुकने पर दर्द का बढ़ना, पैरा उठा कर रखने में समय लगना, त्वचा का संवेदनहीन होना आदि. जैसे ही किसी व्यक्ति को इन लक्षणों का आभास होता है उसे फिजियोथेरेपिस्ट से मिलना चाहिए. डॉक्टर का पता अपोलो अस्पताल, इरबा, रांची दूरभाष : 9431325996

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