केंद्र का फैसला न्यायिक समीक्षा के दायरे मेंएजेंसियां, नयी दिल्लीकेंद्रीय विद्यालयों में संस्कृत के स्थान पर वैकल्पिक विषय के रूप में जर्मन भाषा का शिक्षण खत्म करने का केंद्र सरकार का फैसला सुप्रीम कोर्ट समीक्षा के दायरे में आ गया है. कोर्ट ने इस मामले में दायर याचिका पर शुक्रवार को केंद्र को नोटिस जारी करके उससे जवाब तलब किया है. जस्टिस अनिल आर दवे की अध्यक्षतावाली पीठ इस मामले पर 28 नवंबर को आगे विचार करेगा. केंद्र सरकार के निर्णय को केंद्रीय विद्यालय के एक छात्र के पिता ने जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी है. उन्होंने कहा है कि भाषा का चयन छात्रों और उनके माता-पिता पर छोड़ देना चाहिए. सरकार को अपना निर्णय नहीं थोपना चाहिए.’जानबूझकर’ पैदा किया गया विवाद : स्मृति ईरानीमानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा है कि ‘जान-बूझ कर’ यह विवाद पैदा किया गया है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि तीसरी भाषा के रूप में जर्मन को बनाये रखना संविधान का उल्लंघन होता. मंत्रालय के अनुसार, केंद्रीय विद्यालय और गोएथे इंस्टीट्यूट-मैक्स मूलर भवन के बीच वर्ष 2011 में एमओयू हुआ. इसमें जर्मन को तीसरी भाषा के रूप में पेश किये जाने का जिक्र था और किसी भी चरण में मंत्रालय को इससे अवगत नहीं कराया गया. उन्होंने कहा कि छात्रों को तीसरी भाषा के रूप में संस्कृत के स्थान पर कोई भी भारतीय भाषा चुनने का विकल्प होगा. सरकार शिक्षक मुहैया करायेगी.
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केंद्रीय विद्यालय में संस्कृत-जर्मन विवाद (फ्लैग)
केंद्र का फैसला न्यायिक समीक्षा के दायरे मेंएजेंसियां, नयी दिल्लीकेंद्रीय विद्यालयों में संस्कृत के स्थान पर वैकल्पिक विषय के रूप में जर्मन भाषा का शिक्षण खत्म करने का केंद्र सरकार का फैसला सुप्रीम कोर्ट समीक्षा के दायरे में आ गया है. कोर्ट ने इस मामले में दायर याचिका पर शुक्रवार को केंद्र को नोटिस जारी […]
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