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आधारभूत संरचना है या नहीं ?

सीबीएसइ की पहल. स्कूलों में बनाये अवरोध मुक्त माहौल, पूछाएजेंसियां, नयी दिल्लीस्कूल में अवरोध मुक्त माहौल तैयार करने और चाइल्ड फ्रेंडली स्कूल की अवधारणा के अनुरूप व्यवस्था तैयार करने की पहल के तहत केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसइ) ने सभी संबद्ध स्कूलों से यह बताने को कहा है कि उनके यहां अशक्त बच्चों के लिए […]

सीबीएसइ की पहल. स्कूलों में बनाये अवरोध मुक्त माहौल, पूछाएजेंसियां, नयी दिल्लीस्कूल में अवरोध मुक्त माहौल तैयार करने और चाइल्ड फ्रेंडली स्कूल की अवधारणा के अनुरूप व्यवस्था तैयार करने की पहल के तहत केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसइ) ने सभी संबद्ध स्कूलों से यह बताने को कहा है कि उनके यहां अशक्त बच्चों के लिए आधारभूत संरचना के साथ विज्ञान प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय, पेयजल सुविधा, लड़कियों एवं अशक्त बच्चों के लिए अलग शौचालय, कम्प्यूटर लैब, परिसर में कैंटीन हैं या नहीं. अगर ये सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, तो यह कब तक उपलब्ध हो जायेंगी. स्कूलों से यह भी बताने को कहा गया है कि इमारत कितनी मंजिल की है. हाल ही में सार्वभौम एवं गुणवत्तापूर्ण स्कूली शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए यूनिसेफ ने बच्चों को भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक पहलुओं के अनुरूप स्वस्थ, सुरक्षित माहौल प्रदान करने के साथ पेयजल, स्वच्छता समेत सुव्यवस्थित आधारभूत ढांचा मुहैया कराने में सक्षम ‘चाइल्ड फ्रेंडली स्कूल्स एंड सिस्टम्स’ का खाका पेश किया है. इसमें कहा गया है कि स्कूल में बच्चों में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए और समाज के पिछड़े वर्ग एवं अशक्त बच्चों को तवज्जो दी जानी चाहिए.कैसा होना चाहिए स्कूल माहौल यूनिसेफ की अवधारणा के अनुसार, स्कूल का माहौल ऐसा होना चाहिए जहां बच्चे चीजों को देखें, समझंे, चर्चा और सवाल करके नयी बातें सीखे. बच्चों की मातृ भाषाओं को महत्व दिया जाना चाहिए और उन्हें कक्षा में उन भाषाओं में पाठ्य सामग्री उपलब्ध करायी जानी चाहिए. शिक्षकों को किताबी ज्ञान से आगे बढ़ कर विभिन्न स्रोतों से संवाद के माध्यम से ज्ञान अर्जित करने को बढ़ावा देना चाहिए. अकादमिक ज्ञान के अलावा छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान देना चाहिए. शिक्षकों को बच्चों की विभिन्न गतिविधियों और रचनात्मकता को बढ़ावा देना चाहिए. स्कूली इमारत और कक्षाओं को स्वच्छ, आकर्षक, सुरक्षित और सभी बच्चों की पहुंच के योग्य बनाया जाना चाहिए. ऐसे माहौल को प्रोत्साहित किया जाये, जहां बच्चे अपने विचार खुल कर व्यक्त कर सकें और पठन पाठन का आनंद उठा सकें. स्कूलों में बच्चों को सुरक्षित माहौल प्रदान किया जाना चाहिए और उन्हें भावनात्मक स्तर पर संरक्षण एवं परामर्श देने की व्यवस्था होनी चाहिए. बच्चों को स्कूल में शरीरिक दंड नहीं दिया जाना चाहिए.

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