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नये अंदाज में आ रही है महाभारत

कोशिश. महाकाव्य की कहानी को फ्लोचार्ट और ऐसे ही अन्य तरीकों के जरिये दर्शाया गया हैएजेंसियां, नयी दिल्लीसंस्कृत में लिखित प्राचीन महाकाव्य महाभारत को बच्चों के लिए कहानियों की किताब की शक्ल दी गयी है. ‘वॉरियर्स ऑफ कुरुक्षेत्र’ शीर्षक के तहत इस महाकाव्य को चार किताबों के रूप में ढाला गया है. इसका पुनर्लेखन मुंबई […]

कोशिश. महाकाव्य की कहानी को फ्लोचार्ट और ऐसे ही अन्य तरीकों के जरिये दर्शाया गया हैएजेंसियां, नयी दिल्लीसंस्कृत में लिखित प्राचीन महाकाव्य महाभारत को बच्चों के लिए कहानियों की किताब की शक्ल दी गयी है. ‘वॉरियर्स ऑफ कुरुक्षेत्र’ शीर्षक के तहत इस महाकाव्य को चार किताबों के रूप में ढाला गया है. इसका पुनर्लेखन मुंबई की दो वकीलों ममता भट्ट और तृप्ति सेठ ने किया है. किसी अन्य कहानी की किताब की तरह डिवाइनडोर प्रकाशन की इस किताब में भी कहानी के साथ खूबसूरत रंगीन चित्र हैं. किताब में युधिष्ठिर को युधि, दुर्योधन को दुर्यो जैसे छोटे नाम दिये गये हैं, ताकि किरदारों के नाम आसानी से लिये जा सकें.ममता ने कहा, ‘हमारे चित्रकार के साथ हमने घंटों समय बिताये, उसे घटनाएं बतायीं. हमें लगा जैसे हम किसी दृश्य को देख कर एक कलाकार को उस पर चित्रकारी करने के लिए कह रहे हैं. आप देखेंगे कि हमारी किताब के 100 चित्रों में से 75 प्रतिशत ऐसे होंगे, जो पहले कहीं देखे ही नहीं गये होंगे.’महाकाव्य को बयां करने के लिए तय पाठकों के अनुरूप कई माध्यम भी अपनाये गये हैं. लेखिकाओं ने पूरी कहानी को फ्लोचार्ट और ऐसे ही अन्य तरीकों के जरिये दर्शाया है. तृप्ति सेठ ने कहा, ‘वॉरियर्स ऑफ कुरुक्षेत्र महाभारत का संक्षिप्त प्रारूप नहीं है. हम पहले से इस बात को लेकर स्पष्ट थे कि हम पूरी कहानी को महाकाव्य की मूल भावना बरकरार रखते हुए पेश करना चाहते हैं. आप हमारी किताब में ऐसी कई कहानियां देखेंगे, जो पहले कभी लिखी नहीं गयीं हैं.’दो साल में पूरी हुई किताबकिताब को लिखने में दो साल लगे. लेखिकाओं के अनुसार, उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती इस मूल कहानी को बनाये रखना और बच्चों के समझने लायक भाषा में पेश करने की थी. यह किताब 11 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए है.नया नाम क्योंलेखिकाओं ने इस प्राचीनतम महाकाव्य को नया नाम देने का फैसला किया, ताकि इसमें एक ताजगी लायी जा सके. उनका मानना है कि बच्चों की पहचान उनके मूल और संस्कृति से करवाने के लिए ऐसी किताबें एक प्रभावी माध्यम हैं.कोट”अपना मूल और इतिहास जानना और उनसे सीख लेना जरूरी है. जब हमारे पास पहले ही बुद्धिमत्ता की समृद्ध विरासत है, तो फिर इस चक्र की खोज दोबारा क्यों की जाये.ममता भट्ट, तृप्ति सेठ, लेखिका

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