एजेंसियां, गांधीनगरगुजरात में होनेवाले निकाय चुनाव में अब हर नागरिक को वोट डालना जरूरी हो गया है. राज्यपाल ओपी कोहली की ओर से गुजरात स्थानीय निकाय कानून विधेयक 2009 को मंजूरी मिलने के साथ ही यह कानून प्रभावी हो गया. अब गुजरात देश का पहला राज्य बन गया है, जहां वोटरों के लिए स्थानीय निकायों के चुनावों में वोट देना जरूरी कर दिया गया है. विधेयक को मंजूरी मिलने के साथ ही राज्य के स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण का रास्ता भी साफ हो गया है. गुजरात के पूर्व राज्यपाल कमला बेनीवाल ने इस बिल पर सहमति देने से इनकार कर दिया था. हालांकि इस कानून में यह तय नहीं किया गया है कि वोट नहीं डालनेवाले को किस तरह का दंड दिया जायेगा. कैसे बना यह कानून- 2009 के दिसंबर माह में पहली बार विधानसभा में इस बिल को पारित किया गया- 2010 के अप्रैल में बिल को बेनीवाल ने दोबारा विचार करने को कह कर इसे लौटा दिया.- 2011 के मार्च में राज्य विधानसभा ने इसे दोबारा पास कर दिया.- तत्कालीन राज्यपाल बेनीवाल ने एक बार फिर इसे सहमति देने से मना कर दिया. – कमला बेनीवाल के कार्यकाल तक यह बिल यूं ही राजभवन में पड़ा रहाक्या थी बिल पर आपत्ति कमला बेनीवाल ने बिल पर यह कहते हुए आपत्ति व्यक्त की थी कि यह संविधान की धारा 21 के तहत नागरिकों को मिले स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है. इसके अलावा उन्होंने सरकार से स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षणवाले मसले को भी बिल से अलग करने को कहा था.”गुजरात के राज्यपाल ने विधेयक पर दस्तखत कर दिया है. इस कानून के अनुसार अब स्थानीय निकायों में वोट नहीं करनेवालों को दंडित किया जायेगा. डीएम पटेल,सचिव, गुजरात विधानसभा
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गुजरात में निकाय चुनाव में वोट डालना जरूरी
एजेंसियां, गांधीनगरगुजरात में होनेवाले निकाय चुनाव में अब हर नागरिक को वोट डालना जरूरी हो गया है. राज्यपाल ओपी कोहली की ओर से गुजरात स्थानीय निकाय कानून विधेयक 2009 को मंजूरी मिलने के साथ ही यह कानून प्रभावी हो गया. अब गुजरात देश का पहला राज्य बन गया है, जहां वोटरों के लिए स्थानीय निकायों […]
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