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वोटरों ने दलबदलुओं को नकारा

एजेंसियां, मुंबईमहाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ऐसे तो भगवा पार्टी ने अपना परचम लहरा दिया, लेकिन राजनीतिक फायदे के लिए ऐन चुनाव के मौके पर भाजपा और शिव सेना में शामिल होनेवाले कई दल-बदलुओं को मुंह की खानी पड़ी. विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा से जुड़नेवाले एनसीपी के पूर्व अध्यक्ष बबनराव पचपुटे उत्तर महाराष्ट्र में श्रीगोंडा […]

एजेंसियां, मुंबईमहाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ऐसे तो भगवा पार्टी ने अपना परचम लहरा दिया, लेकिन राजनीतिक फायदे के लिए ऐन चुनाव के मौके पर भाजपा और शिव सेना में शामिल होनेवाले कई दल-बदलुओं को मुंह की खानी पड़ी. विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा से जुड़नेवाले एनसीपी के पूर्व अध्यक्ष बबनराव पचपुटे उत्तर महाराष्ट्र में श्रीगोंडा सीट से हार गये. वोटरों ने वहां एक बार फिर एनसीपी पर ही भरोसा जताया.पूर्व कांग्रेस-एनसीपी सरकार में मंत्री रहे संजय देवताले को कांग्रेस ने टिकट देने से इनकार कर दिया, तो वह भाजपा में शामिल हो गये. वह वरोरा में शिव सेना उम्मीदवार से चुनाव हार गये. कांग्रेस और एनसीपी से रहे अजित घोरपड़े भाजपा में शामिल हुए और सांगली जिले की तासगांव सीट से पूर्व गृह मंत्री आरआर पाटील को हराने का संकल्प लिया. ऐसा लगा था कि लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर संजय पाटील की जीत से घोरपड़े को मदद मिलेगी. हालांकि, तासगांव के वोटरों ने आरआर पाटील को ही चुना. पाटील 22,000 से ज्यादा वोटों से जीते.नंदुरबार जिले के नवापुर विधानसभा क्षेत्र में 2009 में शरद गवित ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते.चुनाव के वक्त वह एनसीपी में शामिल हो गये, लेकिन कांग्रेस नेता सुरुपसिंह नाइक ने गवित के मंसूबे पर पानी फेर दिया.पहले भाजपा में रहे प्रकाश शेंडगे ने सांगली जिले में जाट निर्वाचन क्षेत्र से एनसीपी के टिकट पर किस्मत आजमाने का फैसला किया, लेकिन वोटरों ने फिर भाजपा को चुना.सांगली के विधायक संभाजी पवार को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया, तो वह शिव सेना में चले गये, लेकिन जीत नहीं सके. नारायण राणे के पूर्व सहयोगी और कांग्रेस के पूर्व विधान पार्षद राजन तेली पहले एनसीपी और फिर भाजपा में शामिल हुए. उन्होंने सावंतवाडी सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन शिव सेना के दीपक केसरकर से हार गये. दिलचस्प है कि पहले एनसीपी में रहे केसरकर ने शिव सेना के टिकट पर जीत हासिल की.महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व महासचिव बासवराज पाटील नगरालक एनसीपी में शामिल हो गये और निलंगा से चुनाव लड़ा, लेकिन शिव सेना संभाजी निलंगेकर से चुनाव हार गये. एनसीपी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ कर पूर्व कांग्रेसी नेता वसुधा देशमुख को भी अचलपुर में निर्दलीय उम्मीदवार बच्चू काडू से हार मिली.पाला बदलनेवाले जो जीतेपाला बदलनेवाले कुछ ऐसे भी उम्मीदवार हैं जिन्हें जीत मिली. हिंगना से भाजपा उम्मीदवार समीर मेघे ने एनसीपी उम्मीदवार को 23,000 से ज्यादा वोटों से हराया. इस साल हुए लोकसभा चुनाव में वह वर्धा से कांग्रेस उम्मीदवार थे और हार गये थे. चुनाव के पहले दूसरे दलों में शामिल होनेवाले एनसीपी के पूर्व मंत्री उदय सामंत और संजय सवखड़े क्रमश: शिव सेना और भाजपा के टिकट पर रत्नागिरि और भुसावल सीट बचाने में कामयाब रहे. पहले एनसीपी में रहे और पूर्व राज्य सरकार में मंत्री रहे विजय कुमार गावित भाजपा टिकट पर नंदुरबार सीट बचाने में सफल रहे. इसी तरह कभी राहुल गांधी टीम का हिस्सा रह चुके प्रशांत ठाकुर ने भाजपा टिकट पर अपनी पनवेल सीट बचा ली. पूर्व एनसीपी सदस्य भारती लावहेकर और मंडा म्हात्रे को भी क्रमश: वर्सोवा और बेलापुर से भाजपा टिकट पर जीत मिली.

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