भारत की अर्थव्यवस्था कमजोर11 पायदानों का नुकसान, 71वें स्थान परसिंगापुर दूसरे व अमेरिका तीसरे स्थान परएजेंसियां, जिनीवा/नयी दिल्लीपहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ के 5.7 फीसदी रहने से फूली नहीं समा रही 100 दिन पुरानी नरेंद्र मोदी सरकार के लिए अर्थव्यवस्था के मोरचे पर एक नयी चुनौती आ गयी है. जिनीवा स्थित विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूइएफ) द्वारा जारी सूची में भारत और नीचे खिसक गया है. हर साल जारी होनेवाले इस इंडेक्स के मुताबिक दुनिया के 144 देशों में भारत 71वें नंबर पर है, जबकि पिछले साल भारत 60वें नंबर पर था. ब्रिक्स देशों में सबसे खराब रैंकिंग भारत की है. इंडेक्स में रैंकिंग के मुताबिक स्विट्जरलैंड पहले स्थान पर, सिंगापुर दूसरे और अमेरिका तीसरे स्थान पर है. फिनलैंड चौथे और जर्मनी पांचवे स्थान पर है. ब्रिक्स देशों की रैंकिंग में चीन 28वें नंबर पर, रूस 53वें स्थान पर, दक्षिण अफ्रीका 56वें स्थान पर, ब्राजील 57वें स्थान पर है. कैटेगरी के मुताबिक रैंकिंग में तकनीकी तैयारी में भारत 121वें स्थान पर, कुशल श्रम बाजार की कैटेगरी में 112वें स्थान पर, मैक्र ो इकनॉमिक माहौल में 101वें नंबर पर, सेहत और प्राथमिक शिक्षा में 98वें स्थान पर, उच्च शिक्षा कैटेगरी में 93वें स्थान पर और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में 87वें स्थान पर है. इंडेक्स में भारत के पिछड़ने के पीछे देश में फंडिंग की कमी, टैक्स रेट, भ्रष्टाचार, प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी और इनोवेशन की डिलिवरी में कमी जैसे प्रमुख कारण रहे हैं.भारत 71वें स्थान पररेटिंग का स्तर ऊपर करने में घाटा व मुद्रास्फीति बाधकमुंबई. पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि में उल्लेखनीय सुधार के बावजूद रेटिंग एजेंसी ने कहा कि राजकोषीय घाटे और मुद्रास्फीति का ऊंचा स्तर देश की वित्तीय साख के स्तर को उपर करने में बाधक बन रही हैं. मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने सिंगापुर से जारी एक परिपत्र में कहा, ‘हमारा अनुमान है कि राजकोषीय घाटा, मुद्रास्फीति मध्यम अवधि में कमजोर बने रहेंगे. हालांकि, मजबूत वृद्धि से साख संबंधी चुनौतियों से पार पाने में मदद मिलेगी.’ मूडीज की यह टिप्पणी ऐसे समय में आयी है जब पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत रही, जबकि चालू खाते का घाटा 1.7 प्रतिशत रहा. लेकिन, राजकोषीय घाटे की स्थिति और मुद्रास्फीति को लेकर अब भी अशंकाएं बरकार है. वर्ष 2014-15 के बजट में राजकोषयी घाटा 4.1 प्रतिशत सीमित रखने का लक्ष्य है, जबकि जुलाई में थोक मुद्रास्फीति 5.19 प्रतिशत और खुदरा मुद्रास्फीति 7.96 प्रतिशत थी. पहली तिमाही में ही राजकोषयी घाटा बजट के लक्ष्य के 61 प्रतिशत तक पहुंच गया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले दिनों कहा था कि पहली तिमाही के घाटे के आंकड़े को पूरे साल का अनुमान लगाना ठीक नहीं होता है. उन्होंने कहा था कि पहली तिमाही का आंकड़ा एक तो पिछले साल के कर रिफंड आदि से प्रभावित होता है, दूसरे कंपनियां इस तिमाही में अग्रिम कर का भुगतान कम ही करती हैं.
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ग्लोबल इंडेक्स. डब्ल्यूइएफ ने जारी की सूची, स्वीट्जरलैंड शीर्ष पर
भारत की अर्थव्यवस्था कमजोर11 पायदानों का नुकसान, 71वें स्थान परसिंगापुर दूसरे व अमेरिका तीसरे स्थान परएजेंसियां, जिनीवा/नयी दिल्लीपहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ के 5.7 फीसदी रहने से फूली नहीं समा रही 100 दिन पुरानी नरेंद्र मोदी सरकार के लिए अर्थव्यवस्था के मोरचे पर एक नयी चुनौती आ गयी है. जिनीवा स्थित विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूइएफ) […]
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