नहीं रही राजनीतिक स्थिरता, 13 वर्ष में 12 सरकार- ऊपर का स्लगविधानसभा की सीटें बढ़ाने की होती रही मांग, केंद्र ने नहीं सुनी- मुख्य हेडिंगविधानसभा की 150 सीटें करने का भेजा गया प्रस्ताव, बात आगे नहीं बढ़ीआनंद मोहनरांची : झारखंड की राजनीति कभी सपाट रास्ते नहीं चली. राजनीतिक अस्थिरता ने झारखंड के विकास को बाधित किया. पिछले 13 वर्षों में 12 सरकार बदल गयी. झारखंड ने नौ मुख्यमंत्री देखे. पिछले 13 वर्षों में राजनीतिक उठापटक के बीच में तीन बार राष्ट्रपति शासन लगा. वर्तमान तीसरी विधानसभा में दो बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है. झारखंड की सियासी राजनीति को छोटे दल प्रभावित करते रहे हैं. राजनीतिक अस्थिरता दूर करने के लिए विधानसभा की सीटें बढ़ाने की मांग लगातार होती रही. झारखंड विधानसभा ने भी सीटों को 81 से बढ़ा कर 150 करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा. केंद्र ने झारखंड की आवाज नहीं सुनी. केंद्र सरकार ने इस दिशा में सकारात्मक रुख नहीं दिखाया. राज्य के ज्यादातर राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को समय-समय पर उठाया. भाजपा, कांग्रेस, झामुमो, झाविमो, जदयू सहित कई दलों के अध्यक्षों ने समय-समय पर केंद्र सरकार को इसके लिए पत्र भी लिखा. झारखंड विधानसभा ने पांच बार भेजा है प्रस्ताव रांची : झारखंड विधानसभा ने अब तक पांच बार सीटें बढ़ाने की सिफारिश भेजी है. बहुमत से विधानसभा में यह प्रस्ताव पारित किया गया है. झारखंड विधानसभा के गठन से ही राज्य में सीटें बढ़ाने की बात कही गयी है. इस मुद्दे को लेकर विधानसभा के अंदर कई बार बहस हुई. विधायकों का कहना था कि जनसंख्या के आधार पर विधानसभा क्षेत्रों का फिर से परिसीमन होना चाहिए. विधानसभा की सीटें बढ़ायी जानी चाहिए. 2002, 2004, 2005, 2007 और 2009 में प्रस्ताव सदन द्वारा भेजा गया था. विधानसभा ने राज्य में विधानसभा परिषद के गठन की सिफारिश भेजी थी. परिसीमन के लिए 15 जून 2005 में बनी थी कमेटीरांची. सीटों के परिसीमन के लिए 15 जून 2005 में विधानसभा की कमेटी बनी थी. वर्तमान लोकसभा के उपाध्यक्ष कडि़या मुंडा इस कमेटी के संयोजक थे. कमेटी ने राज्य में नये सिरे से विधानसभा की सीटों के परिसीमन का प्रस्ताव तैयार किया था. 04 जुलाई 2005 को कमेटी ने रिपोर्ट सौंप दी थी. कमेटी ने विधानसभा की सीटें 81 से बढ़ा कर 150 करने का प्रस्ताव तैयार किया था. इस पर पूरे सदन का अनुमोदन मिला था. इसके बाद प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था. नौ मुख्यमंत्री, आठ राज्यपालराज्य के पहले मुख्यमंत्री बालू लाल मरांडी से लेकर हेमंत सोरेन के बीच नौ बार मुख्यमंत्री बदले हैं. राज्य ने नौ बार मुख्यमंत्रियों और आठ बार राज्यपालों को बदलते देखा है. विधानसभा के तीसरे कार्यकाल में ही दो बार राष्ट्रपति शासन लगा है. तीन बार मुख्यमंत्री बदले गये हैं. इसी विधानसभा के कार्यकाल में फिलहाल हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री हैं. कब किनकी सरकारमुख्यमंत्री/राज्यपालकब से कब तकअवधिबाबूलाल मरांडी(भाजपा)15.11.2000-17.3.2003852 दिनअर्जुन मुंडा(भाजपा)18.3.2003-2.3.2005715 दिनशिबू सोरेन(झामुमो)2.3.2005-12.3.200510 दिनअर्जुन मुंडा(भाजपा)12.3.2005-14.9.2006559 दिनमधु कोड़ा(निर्दलीय)18.9.2006-27.8.2008708 दिनशिबू सोरेन(झामुमो)27.8.2008-18.1.2009राष्ट्रपति शासन (सैयद सिब्ते रजी,के शंकरनारायणन)19.1.2009-29.12.2009344 दिनशिबू सोरेन(झामुमो)30.12. 2009-31.5.2010152 दिनराष्ट्रपति शासन(एमओएच फारुक)1.6.2010-11.9.2010अर्जुन मुंडा(भाजपा)11.9.2010-18.1.2013860 दिनराष्ट्रपति शासन(डॉ सैयद अहमद)18.1.2013-12.7.2013175 दिनहेमंत सोरेन(झामुमो)13.7.2013-जारी है
केंद्र ने झारखंड की आवाज नहीं सुनी (संपादित)
नहीं रही राजनीतिक स्थिरता, 13 वर्ष में 12 सरकार- ऊपर का स्लगविधानसभा की सीटें बढ़ाने की होती रही मांग, केंद्र ने नहीं सुनी- मुख्य हेडिंगविधानसभा की 150 सीटें करने का भेजा गया प्रस्ताव, बात आगे नहीं बढ़ीआनंद मोहनरांची : झारखंड की राजनीति कभी सपाट रास्ते नहीं चली. राजनीतिक अस्थिरता ने झारखंड के विकास को बाधित […]