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रांची : कुपोषित बच्चों के लिए रिम्स में बनेगा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

झारखंड में गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या पांच लाख है रांची : गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के लिए रिम्स में स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना होगी. यह सेंटर बच्चों को मौत के मुंह से बाहर निकालने का काम करेगा. यहां इन बच्चों के लिए बेहतर पोषण, उपचार, देखभाल व प्रबंधन की […]

झारखंड में गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या पांच लाख है
रांची : गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के लिए रिम्स में स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना होगी. यह सेंटर बच्चों को मौत के मुंह से बाहर निकालने का काम करेगा. यहां इन बच्चों के लिए बेहतर पोषण, उपचार, देखभाल व प्रबंधन की सुविधा मिलेगी. रिम्स के भूतल में (जहां पहले अधीक्षक कार्यालय था) इस सेंटर के लिए दो हजार वर्गफीट जगह मुहैया करायी गयी है.
यहां शुरुआत में बच्चों के इलाज के लिए 10 बेड की सुविधा होगी. वहीं इसी जगह पर सेंटर का कार्यालय, रसोईघर व बच्चों के खेलने की जगह भी होगी. सेंटर की स्थापना में केंद्र सरकार की अोर से चयनित लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, दिल्ली का कलावती शरण चिल्ड्रेन हॉस्पिटल तकनीकी सहयोग करेगा.
इस सेंटर का महत्व इस बात से बढ़ जाता है कि झारखंड में पांच वर्ष तक के कुपोषित व कमजोर बच्चों की संख्या देश भर में सर्वाधिक करीब पांच लाख है. वैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि कुल कुपोषित बच्चों में से 10 फीसदी मामले क्रिटिकल होते हैं. यानी झारखंड में करीब 50 हजार बच्चों में जटिलता की संभावना रहती है. यूनिसेफ के आंकड़े के अनुसार, झारखंड में हर वर्ष पांच वर्ष तक की उम्र वाले 25 हजार बच्चों की मौत कुपोषण व इससे जुड़े अन्य कारणों से होती है.
इधर, कुपोषण से ज्यादा प्रभावित बच्चों के लिए स्वास्थ्य विभाग राज्य भर में 10 से 20 बेड वाले 96 कुपोषण उपचार केंद्र संचालित करता है. यहां भी बच्चों को पोषाहार तथा चिकित्सा सुविधा मुहैया करायी जाती है, पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण किसी सेंटर अॉफ एक्सीलेंस की जरूरत महसूस की जा रही थी.
बच्चों को बेहतर पोषण, उपचार और देखभाल की सुविधा मिलेगी
क्या होगा काम
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस एक रिसोर्स सेंटर की तरह काम करेगा. यह विशेषज्ञता की जरूरत वाले बच्चों को बेहतर चिकित्सा व देखरेख मुहैया करायेगा.
इसके साथ ही इसका काम राज्य भर के कुपोषण उपचार केंद्रों तथा समुदाय स्तर पर कुपोषण उपचार की पहल की मॉनिटरिंग करना तथा उसे विशेषज्ञ सहायता उपलब्ध कराना होगा. इसके अलावा यह सेंटर कुपोषण व उपचार संबंधी शोध, विश्लेषण व मूल्यांकन के साथ-साथ अपनी रिपोर्ट का प्रकाशन भी करेगा. सेंटर के संचालन के लिए स्टीयरिंग व एग्जिक्यूटिव कमेटी (दोनों रिम्स से जुड़ी) के साथ-साथ नोडल अॉफिसर (रिम्स के तीन चिकित्सक) व तकनीकी परामर्शी (यूनिसेफ झारखंड) भी होंगे.
स्टेट सेंटर अॉफ एक्सीलेंस के पार्टनर
स्वास्थ्य विभाग, समाज कल्याण विभाग, यूनिसेफ, राजकीय प्रशिक्षण संस्थान, नेशनल सेंटर अॉफ एक्सीलेंस तथा राज्य के छह मेडिकल कॉलेज.
झारखंड में कुपोषित बच्चे
देश भर में सर्वाधिक (पांच लाख) कुपोषित व कमजोर बच्चे झारखंड में
राज्य में पांच वर्ष तक के कुल बच्चों में से 11.5 फीसदी हैं कुपोषित
देवघर में सबसे कम (5%) तथा खूंटी में सर्वाधिक (27.3 फीसदी) कुपोषित बच्चे
यह भी जानें
बेहतर पोषण बच्चों के जीवन, उनकी वृद्धि व विकास तथा सीखने की क्षमता सहित समाज में उनकी भागीदारी व योगदान को बढ़ाता है (यूनिसेफ)
पांच वर्षीय बच्चों में से 45 % की मौत का कारण कुपोषण.
कुपोषित बच्चों को पोषण व भोजन, इलाज और देखभाल की तत्काल जरूरत होती है

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