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चीनी एजेंट के हाथ पड़ी भारतीय मिसाइल!

बड़ी लापरवाही : बंदरगाह पर लावारिस पड़ी रही मिसाइलएजेंसियां, नयी दिल्ली10 महीने पहले भारत ने दक्षिण कोरिया के सियोल में होने वाली रक्षा प्रदर्शनी में अपनी मिसाइल ‘प्रगति’ भेजी थी. यह जमीन से जमीन पर सटीक मार करने वाली भारत की एक बेहद सक्षम मिसाइल है. लेकिन हिंदुस्तान की रक्षा करने के लिए बनी ये […]

बड़ी लापरवाही : बंदरगाह पर लावारिस पड़ी रही मिसाइलएजेंसियां, नयी दिल्ली10 महीने पहले भारत ने दक्षिण कोरिया के सियोल में होने वाली रक्षा प्रदर्शनी में अपनी मिसाइल ‘प्रगति’ भेजी थी. यह जमीन से जमीन पर सटीक मार करने वाली भारत की एक बेहद सक्षम मिसाइल है. लेकिन हिंदुस्तान की रक्षा करने के लिए बनी ये मिसाइल दक्षिण कोरिया की प्रदर्शनी के बाद बंदरगाह पर एक महीने तक बिना किसी सुरक्षा के लावारिस पड़ी रही. इस घटना को घटे 10 महीने बीत चुके हैं लेकिन मोदी सरकार ने इस मुद्दे को फिर से उठाया है. और माना जा रहा है कि सरकार इस मामले पर छानबीन कर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है.चीनी एजेंट को सौंपी देखरेख दक्षिण कोरिया के सियोल में होनेवाली इस रक्षा प्रदर्शनी में अब तक भारत डमी मिसाइल भेजा करता था. लेकिन यह पहला मौका था जब भारत ने अपनी असली मिसाइल को प्रदर्शनी में भेज दिया. लापरवाही का सिलसिला यहीं नहीं रु का. कोरिया में इस मिसाइल के रखरखाव का जिम्मा चीन के एक लोकल एजेंट को सौंप दिया गया. यह एक ऐसी लापरवाही थी, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते थे. वापसी में छूटा जहाजतीसरी और सबसे बड़ी गलती यह कि प्रदर्शनी खत्म होने के बाद मिसाइल को उस शिप में नहीं भेजा जा सका, जिसे सीधे भारत लौटना था. मिसाइल उसी तट पर महीने भर तक पड़ी रही. उसे वापस एक व्यापारिक जहाज में लाया गया, जिसमें सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था. प्रगति मिसाइल इतनी तेज है कि कमांड देने पर 5 सेंकंड के भीतर वार कर सकती है. और यह अलग-अलग तरह के 200 किलो तक के विस्फोटकों से फायर करने में सक्षम है. मोदी सरकार का कड़ा रुखप्रगति मिसाइल के साथ हुई बड़ी लापरवाही का मसला आइबी ने मार्च 2014 में ही उठाया था. रक्षा मंत्रालय को लापरवाही की पूरी रिपोर्ट देने के बाद आइबी ने ये भी पूछा कि लापरवाही का जिम्मेदार कौन है, क्यों पहले से चले आ रहे नियमों को ताक पर रख कर सियोल रक्षा प्रदर्शनी में डमी की जगह असली टेस्ट मिसाइल भेज दिया गया? रक्षा मंत्रालय ने सिर्फ ये कह कर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की कि आगे से ध्यान रखा जायेगा. लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि मोदी सरकार इस मसले पर कड़ा रुख अपना सकती है और फिर से पूरे मामले की जांच हो सकती है.

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